सीता, लक्ष्मण संग श्रीराम चले वन को

(आजमगढ़) पुत्र मोह में अंधी हो चुकी रानी कैकेयी के मोहपाश में फंसे राजा दशरथ ने श्रीराम को चौदह वर्ष का वनवास और भरत को राजगद्दी का वचन दे दिया। देने के बाद राजा दशरथ की मनोस्थिति बिगड़ गई और वे महल में मूर्छित होकर गिर पड़े। चेहरे पर कुटिल मुस्कान लिए कैकेयी उनको छोड़कर चली गईं। उधर पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए श्रीराम लक्ष्मण व सीता वन जाने को निकल पड़े। राम को वन जाने की खबर से अयोध्यावासी रो पड़े।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 05 Oct 2019 07:15 PM (IST) Updated:Sun, 06 Oct 2019 12:19 AM (IST)
सीता, लक्ष्मण संग श्रीराम चले वन को
सीता, लक्ष्मण संग श्रीराम चले वन को

जासं, जहानागंज (आजमगढ़) : पुत्र मोह में अंधी हो चुकी रानी कैकेयी के मोहपाश में फंसे राजा दशरथ ने श्रीराम को चौदह वर्ष का वनवास और भरत को राजगद्दी का वचन दे दिया। उसके बाद राजा दशरथ की मनोस्थिति बिगड़ गई और वे महल में मूर्छित होकर गिर पड़े। चेहरे पर कुटिल मुस्कान लिए कैकेयी उनको छोड़कर चली गईं। उधर, पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए श्रीराम, लक्ष्मण व सीता वन जाने को निकल पड़े। राम को वन जाने की खबर से अयोध्यावासी रो पड़े।

शुक्रवार की शाम बरहतिर जगदीशपुर गांव आयोजित रामलीला में राम वनवास का मंचन देखने के लिए सैकड़ों लोगों की भीड़ मैदान में जमा हो गई। वन जाने से पहले राम, लक्ष्मण और सीता ने माता, पिता व गुरु का चरण स्पर्श किया। फिर गणेश, पार्वती और कैलाशपति का आशीर्वाद लेकर वन को प्रस्थान किए। राम को वन जाने की खबर से अयोध्यावासी रो पड़े। नर-नारी रोने बिलखने लगे। हर कोई राम को मनाने की कोशिश कर रहा था मगर वे थे कि पिता की आज्ञा का पालन करना चाहते थे। श्रीराम, लक्ष्मण व सीता को वन में छोड़कर सुमंत जब वापस आए और राजा दशरथ को इसकी सूचना दी तो पुत्र के वियोग में तड़प-तड़प कर दशरथ की मृत्यु हो गई। राम की भूमिका सुधाकर राय, लक्ष्मण की भूमिका टिकू राय, राम प्रवेश राजा दशरथ की एवं सुमंत की भूमिका विनोद राय ने निभाई। कमेटी के अध्यक्ष पंकज पांडेय ने आए हुए अतिथियों के प्रति आभार प्रकट किया। इस अवसर पर विजय कुमार सिंह उर्फ भक्कू, डा. आलोक पांडेय, चंद्रशेखर यादव, रंजीत वर्मा, जवाहिर, शिवराम राय व गणेश राय सहित आदि उपस्थित थे। सीता स्वयंवर का हुआ मंचन

मेंहनगर : श्री रामलीला कमेटी मेंहनगर द्वारा शुक्रवार की शाम छठे दिन की रामलीला में सीता स्वयंवर का मंचन किया गया। मुनि विश्वामित्र महाराज को जनक द्वारा प्रेषित अपनी पुत्री सीता के स्वयंवर का निमंत्रण मिलता है। श्रीराम लक्ष्मण को संग लेकर मुनि जनकपुरी पहुंचते हैं, जहां अनेक देशों के राजा महाराजा आए हुए हैं। महाराजा जनक राजसभा में रखे शिव धनुष की ओर संकेत करके कहते हैं जो कोई राजा अपने बल पर शिव धनुष को खंडित करेगा उससे मेरी पुत्री सीता का विवाह होगा। स्वयंवर में रावण सहित सभी राजा धनुष तोड़ने के लिए आए लेकिन निराश होकर लौट गए। श्रीराम ने धुनष तोड़कर सीता से विवाह किया। इस पल का दर्शकों ने न केवल दर्शन किया, बल्कि वे बरात में सम्मिलित हुए और अपने-अपने मोबाइल में उसे यादगार के लिए सुरक्षित भी कर लिए। नारद मोह से रामलीला का शुभारंभ

सरायमीर/संजरपुर : श्री रामलीला समिति पवई लाडपुर में रामलीला का शुभारंभ मंत्रोच्चार संग मुकुट पूजा कर किया गया। मुकुट पूजा के बाद रामलीला शुरू हुई। रामलीला में नारद मोह का मंचन किया गया। नारद मोह का मंचन देख लोग भाव विभोर हो गए। जय श्रीराम के जयकारे से पूरा पंडाल गूंज उठा। इस अवसर पर समिति के गुलशन, श्रीनाथ प्रजापति, गुलाब प्रजापति, शैलेश प्रजापति, रामधनी मास्टर व डा. अजय पांडेय आदि उपस्थित थे।

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