सच्चाई की राह दिखा गई रतिनाथ की चाची

आजमगढ़ सूत्रधार संस्थान के सालाना नाट्य समारोह रंग महोत्सव का शुभारंभ शनिवार की शाम शहर के शारदा टॉकीज में भारतेंदु नाट्य अकादमी के अध्यक्ष रवि शंकर खरे एवं प्रसिद्ध संस्कृतिकर्मी व फिल्म निर्माता अतुल तिवारी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया। मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय के पूर्व निदेशक संजय उपाध्याय ने अतुल तिवारी को इस साल का सूत्रधार सम्मान प्रदान किया। इसके बाद 14वें आरंगम की पहली नाट्य प्रस्तुति पटना के रंगमंडल द्वारा प्रसिद्ध साहित्यकार नागार्जुन के पहले उपन्यास रतिनाथ की चाची का भावपूर्ण मंचन शारदा सिंह के निर्देशन में किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Mar 2019 08:24 PM (IST) Updated:Sun, 24 Mar 2019 12:27 AM (IST)
सच्चाई की राह दिखा गई रतिनाथ की चाची
सच्चाई की राह दिखा गई रतिनाथ की चाची

जासं, आजमगढ़ : सूत्रधार संस्थान के सालाना नाट्य समारोह आजमगढ़ रंग महोत्सव 'आरंगम' का शुभारंभ शनिवार की शाम शहर के शारदा टॉकीज में भारतेंदु नाट्य अकादमी के अध्यक्ष रविशंकर खरे एवं प्रसिद्ध संस्कृतिकर्मी व फिल्म निर्माता अतुल तिवारी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय के पूर्व निदेशक संजय उपाध्याय ने अतुल तिवारी को इस साल का 'सूत्रधार सम्मान' प्रदान किया। इसके बाद 14वें आरंगम की पहली नाट्य प्रस्तुति पटना के रंगमंडल द्वारा प्रसिद्ध साहित्यकार नागार्जुन के पहले उपन्यास 'रतिनाथ की चाची' का भावपूर्ण मंचन शारदा सिंह के निर्देशन में किया गया।

नाटक की कथावस्तु आजादी के संघर्ष की पृष्ठभूमि पर आधारित है। नाटक की मुख्यपात्र गौरी एक विधवा महिला है, जो अपने स्वाभिमान व आत्मनिर्भरता के कारण समाज के पुराने विचारों की वाहक दमयंती फूफी जैसे चरित्रों की आंखों में गड़ती रहती है। मानवीय स्वभाव के कारण परिस्थितिजन्य हालात में गौरी का अपने देवर जयनाथ के साथ संबंध बन जाता है और वह गर्भवती हो जाती है। समाज के ताने के बाद भी वह कुल मर्यादा की रक्षा की सोच जयनाथ का नाम नहीं लेती। महिलाओं के समूह से ताने सुनती है। बेटा उमानाथ भी अपमानित करता है। इन सब के बीच भी अपने देवर के पुत्र रतिनाथ को कलेजे से लगाए रहती है। रतिनाथ भी चाची के प्रति हमेशा स्नेह भाव रखता है। कहानी के इन्हीं तानों-बानों के बीच देश में चल रहे महात्मा गांधी के आंदोलन को जमीन पर मजबूती से चलाने वाली प्रतिनिधि के रूप में दिखाती है। उसके लिए चरखा चलाना गांधी जी के आदर्शों को अपने जीवन में लागू करने जैसा है। मरते समय रतिनाथ से वह यही कहती है कि, तुम्हें भी गांधी की राह पर चलना है। सत्य की राह पर। इस प्रकार नाटक का अंत होता है। इनकी रही प्रमुख भूमिका

'रतिनाथ की चाची' नाटक में मुख्य भूमिका में अभिषेक आनंद, शारदा सिंह, सुबंति बनर्जी, रूबी खातून, विनीता सिह, अदिति मंजरी, हेमा, सुमन कुमार, समीर कुमार, रोहित चंद्रा, उज्ज्वल कुमार, लवकुश कुमार ने अपने अभिनय से दर्शकों को काफी प्रभावित किया। संजय उपाध्याय के संगीत ने दर्शकों को वाह-वाह करने के लिए मजबूर कर दिया। प्रकाश परिकल्पना महेश सूफी की रही। मंच सज्जा जितेंद्र जित्तू का रहा। हारमोनियम पर रोहित चंद्र, राजू मिश्रा, ढोलक पर अभिषेक राज, इफेक्ट पर संयम राज ने प्रभावशाली काम किया। इनकी थी प्रमुख उपस्थिति

रंग महोत्सव के पहले दिन डा. सीके त्यागी, डा. अमित सिंह, डा. दीपक पांडेय, डा. खुशबू सिंह, अभिषेक पंडित, ममता पंडित, जय भारती, नंदकिशोर यादव आदि के साथ ब्रिटेन से पधारीं विशेष अतिथि सुश्री रोज मौजूद रहीं।

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