पुत्र की मंगलकामना संग माताओं ने रखा व्रत

आजमगढ़ पुत्र के दीर्घायु और उन्नति की कामना के लिए महिलाओं ने रविवार को शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में जीवित्पुत्रिका पर निराजल व्रत रखा। सुबह से ही रुक-रुक का हो रही रिमझिम फुहार ने व्रती महिलाओं को राहत प्रदान किया। देर शाम तक महिलाओं का तांता गोंठ पर लगा रहा। पूजन-अर्चन करने के बाद पुत्र के दीर्घायु होने की कामना की तो बहुओं ने अपने बुजुर्गों से आशीर्वाद लिया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 23 Sep 2019 01:10 AM (IST) Updated:Mon, 23 Sep 2019 06:19 AM (IST)
पुत्र की मंगलकामना संग माताओं ने रखा व्रत
पुत्र की मंगलकामना संग माताओं ने रखा व्रत

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : पुत्र के दीर्घायु और मंगलकामना के साथ महिलाओं ने रविवार को जीवित्पुत्रिका का निराजल व्रत रखा। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में सुबह से ही रुक-रुक का हो रही रिमझिम फुहारों ने व्रती महिलाओं को राहत प्रदान किया। देर शाम तक महिलाओं का तांता गोंठ पर लगा रहा। पूजन-अर्चन करने के बाद पुत्र के दीर्घायु होने की कामना की तो बहुओं ने अपने बुजुर्गों से आशीर्वाद लिया।

धार्मिक रूप में जीवित्पुत्रिका व्रत का विशेष महत्व रहा है। पिछले कई दिनों से महिलाएं इसकी तैयारियों में जुट गई थीं। भोर में ही महिलाएं अल्पाहार करने के बाद निराजल व्रत रहीं। शहर के राम जानकी मंदिर, गौरीशंकर घाट, सिधारी घाट, कदम घाट, रैदोपुर मंदिर, अठवरिया मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों में शाम चार बजे से ही महिलाएं गोंठ पर जाना शुरू हुईं जो देर शाम तक जारी रहा। व्रती महिलाओं ने धार्मिक कथाओं के अनुसार महाभारत काल की कथा सुनी। इसके अनुसार एक बार अश्वत्थामा पांडवों के शिविर में अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए घुस गया, जहां पांच लोग सो रहे थे। अश्वत्थामा ने पांडव समझकर उन्हें मार दिया लेकिन अर्जुन ने उसेबंदी बनाकर उसकी दिव्य मणि ले ली। अश्वत्थामा ने फिर बदला लेने के लिए अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को मारने का प्रयास किया। उसने ब्रह्मास्त्र से उत्तरा के गर्भ को नष्ट कर दिया। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अजन्मी संतान को फिर से जीवित कर दिया। गर्भ में मरने के बाद जीवित होने पर बच्चे का नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया। यही कारण है कि जीवित्पुत्रिका का व्रत रखने से संतान की उम्र लंबी होती है। पंडित सत्यम गुरु ने बताया कि जीवित्पुत्रिका व्रत को कई अन्य नाम से भी जाना जाता है। पूर्वांचल में इस व्रत की बहुत मान्यता है। जीवित्पुत्रिका व्रत करने से अभीष्ट की प्राप्ति होती है और संतान का सर्वमंगल होता है। सोमवार को सुबह पूजन-अर्चन के साथ ही महिलाएं व्रत का पारण करेंगी।

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