बंदना के लिए कमल खिलाना होगी चुनौती

सियासत -सगड़ी में सपा-बसपा के इर्द-गिर्द ही हमेशा घूमती रही परिवार की सियासत -राजनीतिक

By JagranEdited By: Publish:Wed, 24 Nov 2021 09:48 PM (IST) Updated:Wed, 24 Nov 2021 09:48 PM (IST)
बंदना के लिए कमल खिलाना होगी चुनौती
बंदना के लिए कमल खिलाना होगी चुनौती

सियासत

-सगड़ी में सपा-बसपा के इर्द-गिर्द ही हमेशा घूमती रही परिवार की सियासत

-राजनीतिक पृष्ठभूमि के बावजूद राह में होंगे रोड़े, चुनावी चाणक्य भी सक्रिय

राकेश श्रीवास्तव, आजमगढ़ : पूर्व विधायक एवं अपने पति सर्वेश सिंह सीपू की विरासत संभाल रहीं सगड़ी विधायक बंदना सिंह के भाजपा ज्वाइन करने के साथ ही जनपद की सियासत गरमा गई है। दरअसल, राजनीतिक पृष्ठभूमि से सियासत में आईं बंदना सिंह का परिवार सपा व बसपा की राजनीति में सक्रिय रहा। ऐसे में इनके केसरिया चोला धारण करने से सगड़ी में कमल खिलने की उम्मीदें परवान चढ़ने के साथ ही चुनावी चाणक्य राननीतिक नफा-नुकसान की अंकगणित सुलझाने में जुट गए हैं। पूर्व विधायक की हाईप्रोफाइल हत्या एवं उसके बाद हत्यारोपित कुख्यात कुंटू से मोर्चा लेने को लेकर परिवार सुर्खियों में रहा है। बंदना सिंह के श्वसुर रामप्यारे सिंह सपा के दिग्गज नेता अमर सिंह के करीबी थे। अजमतगढ़ से ब्लाक प्रमुख के बाद वर्ष 1996 में सपा से विधायक चुने गए रामप्यारे सिंह वर्ष 2002 में बसपा प्रत्याशी से हार गए थे, लेकिन उसके बावजूद सपा ने रामप्यारे सिंह को एमएलसी बनाकर उत्तर प्रदेश सरकार में पर्यावरण मंत्री बनाया था। 31 मई 2005 को रामप्यारे सिंह का निधन हुआ तो बंदना सिंह के पति सर्वेश सिंह सीपू ने विरासत संभाली और पहली बार सगड़ी से सपा के विधायक चुने गए। उनकी हत्या वर्ष 2013 में 19 जुलाई को गोली मारकर कर दी गई थी। उसके बाद बंदना सिंह बसपा से चुनाव लड़ीं तो विधायक चुनी गईं। उन्होंने कुख्यात माफिया से मोर्चा लेते हुए जनता की नुमाइंदगी में कोई कसर नहीं बाकी नहीं रखी। सियासत पर गौर फरमाएं तो रामलहर हो या मोदी लहर, सगड़ी विधानसभा में कमल कभी नहीं खिला। ऐसे में बंदना के भगवाधारी होने से भाजपाइयों में फिर से उम्मीदें जगना लाजिमी है। हालांकि, सपा-बसपा के गढ़ में बंदना के लिए कमल खिलाने की राह आसान नहीं होगी। वर्ष 2012 में बंदना सिंह के पति सर्वेश सिंह सीपू सदर विधानसभा तो उनके भाई संतोष सिंह टीपू सगड़ी विधानसभा से बहुजन समाज पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़े लेकिन हार गए थे।

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