आपने दी क्वारंटाइन की सलाह तो भोजन भी दीजिए

जागरण संवाददाता आजमगढ़ आपके क्षेत्र अथवा गांव-मोहल्लों में कोई बाहर से आ रहा है तो उसे क्वारंटाइन की सलाह जरूर दीजिए लेकिन यह उम्मीद मत कीजिए कि किसी स्कूल में रखे गए लोगों के लिए भोजन का इंतजाम प्रशासन करेगा। कुछ ऐसी ही व्यवस्था दिख रही है गांव-मोहल्लों में जहां क्वारंटाइन किए गए लोगों को भोजन के लिए परिवार पर ही आश्रित रहना पड़ रहा है। सुरक्षा का भी कोई इंतजाम नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 May 2020 05:11 PM (IST) Updated:Fri, 22 May 2020 05:11 PM (IST)
आपने दी क्वारंटाइन की सलाह तो भोजन भी दीजिए
आपने दी क्वारंटाइन की सलाह तो भोजन भी दीजिए

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : आपके क्षेत्र अथवा गांव-मोहल्लों में कोई बाहर से आ रहा है तो उसे क्वारंटाइन की सलाह जरूर दीजिए लेकिन यह उम्मीद मत कीजिए कि किसी स्कूल में रखे गए लोगों के लिए भोजन का इंतजाम प्रशासन करेगा। कुछ ऐसी ही व्यवस्था दिख रही है गांव- मोहल्लों में जहां क्वारंटाइन किए गए लोगों को भोजन के लिए परिवार पर ही आश्रित रहना पड़ रहा है। सुरक्षा का भी कोई इंतजाम नहीं है।

स्कूल में रखे तो गए हैं लेकिन भोजन के लिए घर जाना पड़ रहा है। कइयों को उनके स्वजन भोजन पहुंचा रहे हैं। अगर सामान्य भोजन से इतर कुछ खाने की इच्छा हुई तो पूरे गांव अथवा मोहल्लों में भ्रमण कर रहे हैं। इन्हें कोई रोकने वाला भी नहीं है। शहर के प्राथमिक विद्यालय गुरुटोला में रखे गए आठ लोग 16 मई को अपने साधन से घर लौटे तो सभासद ने सभी को 14 दिन तक स्कूल में रहने की सलाह दी। सभी ने उनका कहना माना और वहीं रहने लगे लेकिन वहां भोजन छोड़िए शौचालय तक की व्यवस्था न होने से बाहर निकलना पड़ रहा है। शुभम कनौजिया ने बताया कि मुंबई में आनलाइन आवेदन किया था लेकिन रिस्पांस नहीं मिला। हमारी गली में मात्र दो लोग बचे तो निजी वाहन से आने का फैसला लिया। परिवार की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यहां रह रहा हूं।

सभासद हरिश्चंद्र सोनकर ने बताया कि क्षेत्रीय लेखपाल को सूचना दी गई लेकिन अभी तक कोई इंतजाम नहीं किया गया। लेखपाल राजदेव राम का कहना है कि खुद के साधन से घर पहुंचने वालों के लिए भोजन की कोई व्यवस्था नहीं है। एसडीएम रावेंद्र सिंह के अनुसार ऐसे लोगों के लिए कोई सरकारी व्यवस्था नहीं होती। निगरानी समितियां अपने स्तर से इंतजाम करती हैं।

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