जनता आगे आए तो बचे अंश की जान

जागरण संवाददाता आजमगढ़ सिधारी थाना क्षेत्र का मतौलीपुर गांव। यहां के आठ वर्षीय अंश की दोनों किडनी खराब है लेकिन परिवार इलाज कराने में असमर्थ। अंश के पिता दीपक कुमार राय और दादा चंद्रभान राय भी नहीं रहे। मां एवं बड़ी बहन अपनी किडनी देने को तैयार हैं लेकिन उसके लिए बड़ी रकम की व्यवस्था नहीं हो पा रही है क्योंकि मात्र ढाई बीघा खेत के बल पर किसी तरह से परिवार का भरण-पोषण हो पाता है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 15 Oct 2019 07:07 PM (IST) Updated:Wed, 16 Oct 2019 06:01 AM (IST)
जनता आगे आए तो बचे अंश की जान
जनता आगे आए तो बचे अंश की जान

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : सिधारी थाना क्षेत्र का मतौलीपुर गांव। यहां के आठ वर्षीय अंश की दोनों किडनी खराब है लेकिन परिवार इलाज कराने में असमर्थ। अंश के पिता दीपक कुमार राय और दादा चंद्रभान राय भी नहीं रहे। मां एवं बड़ी बहन अपनी किडनी देने को तैयार हैं लेकिन उसके लिए बड़ी रकम की व्यवस्था नहीं हो पा रही है, क्योंकि मात्र ढाई बीघा खेत के बल पर किसी तरह से परिवार का भरण-पोषण हो पाता है। पहले ही 80 हजार रुपये जांच में लग चुका है और अब आपरेशन के लिए धन जुटाना असंभव हो गया है।

परिवार के लोगों ने तबीयत बिगड़ने पर पिछले दिनों जिला अस्पताल के आइसीयू में भर्ती कराया तो पता चला कि उसके शरीर में मात्र तीन प्वाइंट खून बचा है। संयोग से अपनी बेटी को लेकर उसी वार्ड में मौजूद सामाजिक कार्यकर्ता रामकुंवर यादव भी थे और इस बात की जानकारी के बाद उन्होंने प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक एसकेजी सिंह से मुफ्त में ब्लड दिलाने का आग्रह किया। प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक ने विवशता को महसूस किया और ब्लड बैंक से निश्शुल्क ब्लड की व्यवस्था कराई। बता दें कि वर्ष 2006 में ब्लड कैंसर से पीड़ित तरवां क्षेत्र के गोलू की जान बचाने के लिए रामकुंवर ने पूरे जिले में भिक्षाटन किया और लोगों के सहयोग से गोलू के इलाज से ज्यादा धन संग्रह हो गया। उसके बाद ऐसे लोगों की मदद का जज्बा बढ़ा तो कई अन्य लोगों की भी मदद करके जान बचाई।

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