मौत का गम तो भूल सकता हूं, पर लाश की दुर्दशा याद रहेगी

मौत का गम तो भूल सकता है पर लाश की दुर्दशा याद रहेगी

By JagranEdited By: Publish:Thu, 30 Jul 2020 04:36 PM (IST) Updated:Thu, 30 Jul 2020 04:36 PM (IST)
मौत का गम तो भूल सकता हूं, पर लाश की दुर्दशा याद रहेगी
मौत का गम तो भूल सकता हूं, पर लाश की दुर्दशा याद रहेगी

जागरण संवाददाता, अतरौलिया (आजमगढ़) : किसी की मौत के बाद तेरही का भोज होता है और उसके बाद धीरे-धीरे गम भूलने लगता है, लेकिन मेरे भाई के साथ जो हुआ वह शायद जीवन भर नहीं भूलेगा, क्योंकि पहली बार किसी की मौत के बाद शव की दुर्दशा देखी। घटनाक्रम को याद करते हुए दिवंगत व्यापारी के भाई की आंखें डबडबा गई। मामला मौत के बाद कोरोना पॉजिटिव निकले व्यापारी से जुड़ा है।

व्यापारी के भाई का कहना है कि अगर प्रशासन का कोई अधिकारी या कर्मचारी साथ होता तो नहीं झेलनी पड़ती ऐसी जलालत। कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद प्रोटोकॉल के तहत शव जलाने को कागजी खानापूर्ति करते हुए चार पीपीई किट देकर शव दे दिया गया। मृतक के भाई ने बताया कि भाई का शव लेकर आंबेडकरनगर के कम्हरिया घाट हम लोग पहुंचे जहां लोगों ने शव नहीं जलाने दिया। फिर हम लोग चाड़ीपुर घाट पर ले गए जहां कम्हरिया घाट के लोगों ने फोन करके सूचना दे दी कि जलाने मत देना। वहां भी लोगों ने लाश को नहीं जलाने दिया। भाई की मौत का गम सीने में दफन कर, आंखों में आंसू लेकर तथा समाज की जलालत झेलकर हम लोग पीपीई किट उतार दिए ताकि लोग सामान्य लाश समझें और उसके बाद रामघाट पर दाह संस्कार करने में सफलता मिली। व्यापारी का कहना है कि अगर प्रशासन के लोग शव के साथ होते तो शायद इतनी जलालत नहीं झेलनी पड़ती।

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