सरकारी कमजोरी से एनीमिया ले रहा जान

अंकित शुक्ला औरैया सरकार गर्भवती और शिशु की स्वास्थ्य रक्षा पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है

By JagranEdited By: Publish:Sat, 20 Jul 2019 11:12 PM (IST) Updated:Sun, 21 Jul 2019 06:19 AM (IST)
सरकारी कमजोरी से एनीमिया ले रहा जान
सरकारी कमजोरी से एनीमिया ले रहा जान

अंकित शुक्ला, औरैया: सरकार गर्भवती और शिशु की स्वास्थ्य रक्षा पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन जिले में मातृ मृत्यु दर 60 प्रतिशत से अधिक है। सबसे ज्यादा शिकार एनीमिया पीड़ित महिलाएं हो रहीं हैं। इसका कारण डाक्टरों की कमी के साथ ब्लड बैंक न होना है। तीन माह 10 महिलाओं की मौत खून की कमी से हुई है। इनमें से 6 की मौत पीपीएच (पोस्ट पार्टम हैंब्रेज) से हुई है।

इन मौतों का विभाग द्वारा ऑडिट कराया गया है। इसमें महिलाओं में खून की कमी, ब्लड बैंक न होना, स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, डॉक्टरों की कमी आदि तथ्य सामने आये हैं। अधिकारियों की मानें तो जनपद में ब्लड बैंक के न होने व सर्जन की कमी से मातृ मृत्यु दर बढ़ रहा है। एक अप्रैल से 30 जून तक खून की कमी से 10 महिलाओं की मौत के मामले सामने आये हैं। इसमें एरवाकटरा की तीन महिलाएं, बिधूना की तीन, सहार की तीन व दिबियापुर की एक महिला शामिल है।

हर साल 84 महिलाओं की मौत खून की कमी से

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एके राय ने बताया कि मातृ मृत्यु दर के संभावित आकड़े में जिले की स्थिति बहुत बुरी है। इसके अनुसार जनसंख्या के आधार पर किये गये सर्वे के अनुसार खून की कमी से हर साल 84 महिलाओं की मौत की आशंका हो सकती है। जनपद में ब्लड बैंक होने के साथ-साथ सर्जन स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ का होना आवश्यक है। सीएमओ ने बताया कि यदि जिले में दोनों व्यवस्था कर दी जाए तो मातृ-शिशु मृत्युदर में कमी आ जाएगी। कानपुर व इटावा इमरजेंसी में देगा ब्लड

सीएमओ डॉ. एके राय ने बताया कि कानपुर में अपर निदेशक स्वास्थ्य डॉ. रामायण प्रसाद यादव द्वारा मातृ-शिशु मृत्युदर को लेकर समीक्षा बैठक की थी। इसमें जनपद में ब्लड बैंक व सर्जन न होने की जानकारी दी गई। इसपर कानपुर व इटावा के सीएमओ ने इमरजेंसी में जनपद को ब्लड उपलब्ध कराने को कहा है। सात प्रतिशत से कम ब्लड वालों को नहीं किया जाता भर्ती

यहां के जिला अस्पताल व सीएचसी, पीएचसी में सात प्रतिशत से कम ब्लड वाले मरीज को प्राथमिक उपचार व जरूरी सलाह देकर उन्हें कानपुर या सैफई के लिए रेफर कर दिया जाता है।

अब तो जागो सरकार

केस-1: एरवाकटरा के ग्राम सराय निवासी मंजू देवी (30) गर्भवती थीं। डिलीवरी के समय पता चला कि शरीर में खून की कमी है। उन्हें रेफर कर दिया गया और रास्ते में उनकी मौत हो गई।

केस- 2: एरवाकटरा की कृष्णा देवी (45) की प्रसव उपरांत रक्त स्त्राव होने के चलते खून की जरूरत हुई। लेकिन समय से मुहैया न होने के कारण उनकी मौत हो गई।

केस- 3: दिबियापुर निवासी मीरा (35) प्रेगनेंट थी। छत से गिर जाने के कारण वह गंभीर रूप से घायल हो गई। परिजनों ने अस्पताल में भर्ती कराया। जहां खून की कमी हो जाने से उनकी भी मौत हो गई।

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