बारिश की बूंदों के बीच छलका अग्नि पीड़ितों का दर्द

औरैया, जागरण संवाददाता : ऐसा मंजर जो कल तक ख्वाबों की हद में भी नहीं था। आज हकीकत बनकर कलापुर के ग्र

By Edited By: Publish:Wed, 25 May 2016 06:24 PM (IST) Updated:Wed, 25 May 2016 06:24 PM (IST)
बारिश की बूंदों के बीच छलका अग्नि पीड़ितों का दर्द

औरैया, जागरण संवाददाता : ऐसा मंजर जो कल तक ख्वाबों की हद में भी नहीं था। आज हकीकत बनकर कलापुर के ग्रामीणों के हौसले तोड़ रहा है। सोमवार शाम को आए आंधी तूफान के बीच कलापुर में हुए भीषण अग्निकांड से 21 घर तबाह हो गये। कभी तेज हवा, तो कभी तेज धूप, तो कभी बारिश पिछले दो दिनों से इस गांव के लोगों के लिए मुसीबत बनी हुई है। वजह, अग्निकांड के बाद गांव के 21 परिवार खुले में रहने को मजबूर हैं। ग्रामीणों के पास खाने के लिए न खाना है, न पहनने के लिए कपड़े। ग्रामीणों की आंखों में यहां पहुंचने वाले हर व्यक्ति से पुनर्वास कराने की उम्मीद।

²श्य - 1

तिरपाल ओढ़ कर भीगने से बचा परिवार

सोमवार रात हुए कलापुर गांव में भीषण अग्निकांड के बाद कई परिवारों के सिर के ऊपर छत नहीं बची। बुधवार को जब जागरण टीम गांव की हालत देखने पहुंची तो बारिश शुरू हो गयी। इसी समय एक परिवार तिरपाल ओढ़कर खुद को बारिश से भीगने की जुगत करता दिखा। यह परिवार कलापुर गांव के होशियार ¨सह का था। बारिश थमने के बाद होशियार ¨सह से बात की तो तबाही की आंखों देखी बताते हुए उसकी आंखों में आंसू छलक आये। गांव के 21 परिवारों की स्थिति होशियार ¨सह से अलग नहीं है।

²श्य - 2

अब क्या करें कुछ बचा ही नहीं

अग्निकांड में कलापुर गांव के कुछ परिवारों के पास कुछ नहीं बचा। कई परिवार तो पूरी तरह से तबाह हो गये, उनके पास रहने, खाने, पहनने और आगे की ¨जदगी कैसे गुजारेंगे इसका भी प्रश्न खड़ा हो गया है। ऐसा ही एक परिवार हरनाम ¨सह का है। इनके घर में कुछ नहीं बचा। सोमवार को पूरा दिन परिवार मदद करने वालों का इंतजार करता रहा, जिससे उनके बच्चे और बुजुर्गों का पेट भर सके। घर में जले पड़े बर्तन और टूटा पड़ा ठंडा चूल्हा परिवार की स्थिति की कहानी खुद बयां कर रहा है।

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कपड़े ढूंढते मिले नंगे बच्चे

गांव की स्थिति जानने पहुंचे जागरण टीम को एक घर जले पड़े घर के बाहर दो अधनंगे बच्चे, अपने जले कपड़ों से कुछ सही कपड़े ढूंढते मिले। काफी मशक्कत के बाद दोनों बच्चों को एक पेंट और एक बनियान सही मिली। जिसे दोनों ने सामंजस्य बनाकर पहन लिया। सचिन ने पेंट पहना तो रोबिन ने टीशर्ट पहन कर तसल्ली कर ली।

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मेरा न सही बच्चों का पेट भर जाये

कलापुर गांव के प्रीतम ¨सह घर छत तो नहीं थी, लेकिन चूल्हा दुरुस्त था। आंधी तूफान के बाद हुई तबाही में इस घर का भी सब खत्म हो गया। लेकिन घर की गृहणी को ¨चता अपनी नहीं अपने बच्चों की थी। जब हम अंदर गये तो वह चूल्हे से गंदगी हटा कर उसे दुरुस्त करती दिखी। कैमरा देख कर बोली हम भूखे रह सकते हैं बच्चों का क्या करें उनको तो कुछ खिलाना ही पड़ेगा। यह कहते ही मां की आंखें नम हो गईं।

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अब कैसे पढ़ें हम

कलापुर में हुए अग्निकांड की तबाही ने किसी को नहीं छोड़ा। बच्चों की किताबें भी जलकर राख हो गयीं। प्रीतम ¨सह घर में कुल नो बच्चे हैं। सभी बच्चे पढ़ने में होशियार है। कक्षा 12 की परीक्षा उनके दो बच्चों ने प्रथम श्रेणी में पास की। सोमवार को जली किताबें देख बच्चे भी मायूस दिखाई दिये। कुछ बच्चों ने तो अभी ही किताबें खरीद कर पढ़ाई शुरू की थी। कक्षा चार में पढ़ने वाला सूरज और कक्षा 7 में पढ़ने वाली राखी नई किताबों को जला देख फूट फूट कर रो पड़ी। सब कह रहे थे अब हम कैसे पढ़ेंगे।

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