घर से जब बहरे सफर सैयदे आलम निकले..
जागरण संवाददादाता अमरोहा अंजुमने तहफ्फुजे अजादारी के तत्वावधान में तीन मुहर्रम का मातमी जुलूस मुहल्ला पचदरा स्थित इमामबाड़ा वलिया से सुबह नौ बजे बरामद हुआ। जुलूस अपने पूर्व रीति रिवाज के अनुसार निकाला गया। इस दौरान घर से जब बहरे सफर सैयदे आलम निकले सभी अजाखानों में पढ़ा गया। यह जुलूस शहर के सभी अजाखानों में गश्त करने के बाद इसी अजाखाने में आकर समाप्त हुआ। अजादारों ने सीनाजनी कर मातम किया। अजाखानों में मजलिस हुई।
अमरोहा: अंजुमने तहफ्फुजे अजादारी के तत्वावधान में तीन मुहर्रम का मातमी जुलूस मुहल्ला पचदरा स्थित इमामबाड़ा वलिया से सुबह नौ बजे बरामद हुआ। जुलूस अपने पूर्व रीति रिवाज के अनुसार निकाला गया। इस दौरान 'घर से जब बहरे सफर सैयदे आलम निकले' सभी अजाखानों में पढ़ा गया। यह जुलूस शहर के सभी अजाखानों में गश्त करने के बाद इसी अजाखाने में आकर समाप्त हुआ। अजादारों ने सीनाजनी कर मातम किया। अजाखानों में मजलिस हुई।
मंगलवार को अंजुमन तहफ्फुज-ए-अजादारी के तत्वावधान में सुबह नौ बजे पूरे मातमी माहौल में जुलूस की शुरूआत हुई। जुलूस में सबसे आगे ऊंटों का लंबा काफिला चल रहा था। इमाम हुसैन जब अपने छोटे से काफिले के साथ मदीने से चलकर कर्बला गये थे तब गर्मी के दिन थे। तपती रेती पर काफिले के लोग चल रहे थे। जुलूस के आगे चलने वाले ऊंट उसी काफिले की याद दिला रहे थे। आगे ऊंट पर काला अलम लगा था। इसके पीछे लोग अराइश लेकर चल रहे थे। इसमें अगली रोशन चौकी में नौबत (जंगी धुन) बज रही थी। इसके पीछे तख्त, अलम और हजरत इमाम हुसैन का वफादार साथी दुलदुल पीठ पर ढाल और तलवार बांधे चल रहा था। बड़ों के साथ-साथ बच्चे ढोल, ताशे बजाते हुए चल रहे थे। दुलदुल पर लगभग दस किलो सोने चांदी के जेवर लदे हुए थे। अजादाराने इमाम हुसैन इसकी ज्यारत कर रहे थे। इसके पीछे तमाम अजादाराने इमाम हुसैन नोहा पढ़ते हुए नंगे सिर-पैर चल रहे थे। शहीदे कर्बला हुसैन अमीरे कर्बला हुसैन और पीछे चल रहे लोग अजादार जवाब में हुसैन, हुसैन कह रहे थे। जुलूस काजीजादा, सद्दो, चाहगौरी, मजापोता, दानिशमंदान, कटरा, मंडी चोब, मछरट्टा, बंगला, दरबारे कलां, अहमदनगर, कटकुई, नौबतखाना, लकड़ा, सट्टी, हक्कानी, जाफरी, तथा गुजरी से होते हुए देर शाम पचदरा के अजाखाने में आकर समाप्त हुआ। जुलूस का संचालन अंजुमने रजाकाराने हुसैन किया। इस मौके पर रक्षा के लिहाज से भारी संख्या में पुलिस बल भी साथ था। जुलूस के बाद नगर के अजाखानों में मजलिसें हुईं।