ट्रांसपोर्ट में भी अभिभावकों की जेब हो रही ढीली

अमरोहा : प्राइवेट स्कूल संचालक अभिभावकों का शोषण करने से बाज नहीं आ रहे हैं। प्रवेश से

By JagranEdited By: Publish:Tue, 10 Apr 2018 10:47 PM (IST) Updated:Tue, 10 Apr 2018 10:47 PM (IST)
ट्रांसपोर्ट में भी अभिभावकों की जेब हो रही ढीली
ट्रांसपोर्ट में भी अभिभावकों की जेब हो रही ढीली

अमरोहा : प्राइवेट स्कूल संचालक अभिभावकों का शोषण करने से बाज नहीं आ रहे हैं। प्रवेश से लेकर ट्रांसपोर्ट तक स्कूल संचालकों की मनमानी कायम है। 400 से 1500 रुपया एक बच्चे का स्कूल संचालक ट्रांसपोर्ट का ले रहे हैं। यही नहीं स्कूल संचालक हर साल ट्रांसपोर्ट के नाम पर रुपया बढ़ा देते है। जिसके कारण अभिभावकों को जेब ढीली करनी पड़ती है।

शैक्षिक सत्र शुरू होते ही शहर और ग्रामीण क्षेत्र में हर मोड़ पर प्राइवेट स्कूल खुल गए है। इन स्कूलों में अभिभावकों को चकाचौंध दिखाकर एडमिशन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है मगर शिक्षा विभाग के इससे अंजान बने हुए हैं। जिले में काफी संख्या में प्राइवेट स्कूल हैं। मजे की बात तो यह है कि इन स्कूलों में प्रवेश के नाम पर भारी भरकम शुल्क अभिभावकों से वसूला जाता है। यह स्कूल संचालक यही नहीं नहीं रुकते, उनका शोषण जारी रहता है।

बच्चे को स्कूल ले जाने के नाम पर ट्रांसपोर्ट पर स्कूल संचालक भारी-भरकम शुल्क वसूलते है। अभिभावकों की माने तो दूसरी के हिसाब से बच्चों से ट्रांसपोर्ट की फीस ली जाती है। लगभग 600 रुपया से 1500 रुपया लिया है। जितना बड़ा स्कूल उतने ही उसके ट्रांसपोर्ट का खर्च अधिक रहता है। हमारे स्कूल में काफी सालों से विद्यार्थियों से दूरी के हिसाब से ट्रांसपोर्ट शुल्क लिया जाता है। 400 से छह सौ रुपये प्रति बच्चे के हिसाब से ट्रांसपोर्ट शुल्क लिया जाता है। रही बात हर साल बढ़ाने की तो इसकी फीस हर साल नहीं बढ़ाई जाती है। अगर शुल्क बढ़ा भी तो पहले से ही अभिभावकों को बता दिया जाता है।

चंद्र पाल ¨सह, प्रधानाचार्य। प्राइवेट स्कूलों में ट्रांसपोर्ट के नाम पर जेब ढीली करनी पड़ती है। दूरी के हिसाब से बच्चों से वाहन फीस ली जाती है। बेटी की ट्रांसपोर्ट फीस प्रतिमाह 1100 रुपया देनी पड़ती है। हर साल इस शुल्क में वृद्धि हो जाती है। जिससे काफी परेशानी उठानी पड़ती है।

डॉ. रियाज, अभिभावक।

chat bot
आपका साथी