चुनावी चौपाल : रेल परियोजना को नहीं मिल सका जमीनी आधार

शाहगंज से ऊंचाहार को अमेठी व सलोन के रास्ते वाली 67 किमी. रेल पथ का निर्माण 380 करोड़ रुपये की लागत से होना है लेकिन यह प्रोेजेक्‍ट ठंडे बस्‍ते में पड़ा है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Tue, 16 Apr 2019 05:02 PM (IST) Updated:Tue, 16 Apr 2019 05:02 PM (IST)
चुनावी चौपाल : रेल परियोजना को नहीं मिल सका जमीनी आधार
चुनावी चौपाल : रेल परियोजना को नहीं मिल सका जमीनी आधार

अमेठी, जेएनएन। शाहगंज-अमेठी-ऊंचाहार रेल लाइन का सपना सबसे पहले संजय गांधी ने 1977 में देखा था। इस परियोजना के द्वारा प्रमुख तीर्थ स्थलों को जोडऩे की योजना थी। उनकी मौत के बाद राजीव गांधी 1982 में फिर रेल पथ की योजना पर अमल शुरू किया और अमेठी में रेलवे ने कार्यालय का निर्माण कर योजना पर काम भी शुरू कर दिया, लेकिन उनकी मौत के बाद सबकुछ थम गया। वर्ष 2013 में 26 नवंबर को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने तीन रेल परियोजनाओं की आधारशिला रखी तो लगा कि अब दशकों पुराना सपना हकीकत में बदल जाएगा पर पांच साल से अधिक वक्त बीत जाने के बाद भी रेल परियोजनाओं ने जमीन पर कोई खास प्रगति नहीं की। 

परियोजना का इंतजार काफी लंबे समय से किया जा रहा है। हर बजट में इसकी चर्चाएं भी होती है, लेकिन आज तक काम शुरू नहीं हो सका है। पवन चौरसिया, व्यवसायी  

कई वर्षों से हम इसका इंतजार कर रहे है। परियोजना का शिलान्यास भी हो चुका है। यहां से हर समय लोग धार्मिक पर्वों पर लोग मानिकपुर स्थित गंगा नदी में स्नान के लिए जाते है। अगर यह परियोजना के तहत रेल मार्ग बन जाये तो लोगों को लाभ मिलेगा। सूर्य प्रकाश त्रिपाठी, अधिवक्ता  

अयोध्या के लिए कोई साधन नहीं है। इस परियोजना के माध्यम से स्थानीय लोगों को अयोध्या पहुंचने में आसानी होती। बीच में सुनाई पड़ा था कि मुआवजे के लिए कागज बटा है, लेकिन कई गांवों में अभी तक काश्तकारों को फार्म दिया ही नहीं गया है। अवनींद्र पांडेय, गौरीगंज  

योजना के अनुसार रेल लाइन को घुमाकर सलोन की ओर ले जाया जा रहा है, जबकि यह लाइन सीधे मानिकपुर जाये, जिससे स्थानीय लोगों को सहूलियत मिले। यह से प्रत्येक पर्व पर हजारों की तादात में श्रद्धालुओं का जत्था गंगा दर्शन के लिए जाता रहता है। रवींद्र कुमार तिवारी, व्यवसायी  

चुनाव में इन परियोजनाओं की चर्चा होती है। इसके बाद नजर अंदाज कर दिया जाता है। यह सब बंद कर सीधे इस परियोजना को जमीनी रूप दिया जाये। जनार्दन प्रसाद मिश्रा, किसान 

कई सरकारें आई और गई। प्रस्ताव भरा रह गया। किसी ने उसपर अमल नहीं किया, आखिर क्यों अमेठी को अनदेखा किया जा रहा है। इस परियोजना का भी विस्तार किया जाये। मनोज द्विवेदी, सामाजिक कार्यकर्ता 

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