वर्षा जल संरक्षण से बदलेगी अमेठी की सूरत, जले उम्मीदों के दीप

चार चेक डैम और दो सरोवर 233 लाख रुपये में निर्मित होंगे। पंद्रह हजार से ज्यादा तालाबों का खोदाई कार्य पूर्ण हुआ।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 06 Jan 2021 11:21 PM (IST) Updated:Wed, 06 Jan 2021 11:21 PM (IST)
वर्षा जल संरक्षण से बदलेगी अमेठी की सूरत, जले उम्मीदों के दीप
वर्षा जल संरक्षण से बदलेगी अमेठी की सूरत, जले उम्मीदों के दीप

दिलीप सिंह, अमेठी

वर्षा जल को संरक्षित करने के लिए जिले में चार चेक डैम और दो सरोवर का निर्माण होगा। वहीं, कोरोना काल में मनरेगा ने जिले के तालाबों को नया जीवन दिया है। योजना है कि नए साल में बनाए गए सभी 15 हजार से ज्यादा तालाबों को रोजगार से जोड़ा जाए और इनकी पटरियों को हरा-भरा बनाने की जिम्मेदारी उन युवाओं को दी जाए, जिन्हें मत्स्य पालन के लिए यह तालाब मिलें। आपदा में ही सही पर उम्मीदों का जो दीप जला है, वह आने वाले समय में सूरत बदलने वाला होगा

कोरोना संक्रमण काल में विभिन्न शहरों और राज्यों से लौटे श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराने के साथ बारिश का पानी बर्बाद न हो, इसके लिए गांव-गांव में संचयन पर जिलाधिकारी का जोर रहा है। इसी कड़ी में लघु सिचाई विभाग की ठेंगहा नाला पर संग्रामपुर इटौरी में चेक डैम बनाने की योजना है। इसी क्रम में मनोरमा नाला पर नेवादीय, संग्रामपुर में चंदेरिया मोहनपुर व भादर में 192.68 लाख रुपये की लागत से चेक डैम बनाने की कार्ययोजना तैयार की गई है। चेक डैम के साथ बारिश के पानी को रोकने के लिए दो बड़े सरोवर का निर्माण भी 40 लाख रुपये की लागत से होना है। सब कुछ ठीक रहा तो इस साल इन योजनाओं की शुरुआत के साथ ही इन्हें पूरा भी कर लिया जाएगा।

जिलाधिकारी अरुण कुमार ने बताया कि हमारी कोशिश है कि जल्द से जल्द सभी चेक डैम व सरोवरों का निर्माण कार्य शुरू हो और जल्द से जल्द काम पूरा हो, जिससे बारिश के पानी को बर्बाद होने से बचा सकें और उसका खेतीबाड़ी में सदुपयोग हो। इससे किसानों को लाभ मिलेगा।

चेक डैम के निर्माण से बर्बाद होने बचेगा बारिश का पानी :

जिले में चेक डैम के निर्माण से बारिश के पानी को काफी हद तक बर्बाद होने से रोका जा सकेगा। चारों चेक डैम के निर्माण से किसानों को समय पर खेतों की सिचाई के लिए पानी भी मुहैया होगा।

तालाबों से मिलेगा रोजगार :

तालाबों में मत्स्य पालन से जिले के युवाओं को रोजगार मिलेगा। इसके साथ ही गांवों को पानी की समस्या से भी निजात मिलेगी। दरअसल, गर्मी में आग लगने पर उसे बुझाने के लिए सबसे ज्यादा समस्या पानी की होती है। गांव-गांव तालाब खुद जाने से यह समस्या भी दूर हो गई है।

रोजगार के साथ बढ़ेगी गांवों की रौनक :

तालाबों के निर्माण से युवाओं को रोजगार के अवसर मिलने के साथ किनारों पर हरियाली होने से वातावरण शुद्ध होगा और गांव की शोभा भी बढ़ेगी।

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