चेतें दोनों जन, तब हो परिवार नियोजन

चिंतामणि मिश्र, अमेठी छोटा परिवार, सुखी परिवार का नारा साकार करने में जिले के पुरुष पीछे हैं। महि

By Edited By: Publish:Fri, 10 Jul 2015 06:41 PM (IST) Updated:Fri, 10 Jul 2015 06:41 PM (IST)
चेतें दोनों जन, तब हो परिवार नियोजन

चिंतामणि मिश्र, अमेठी

छोटा परिवार, सुखी परिवार का नारा साकार करने में जिले के पुरुष पीछे हैं। महिलाएं सरकार की योजनाओं के साथ कदमताल कर रही हैं, लेकिन पुरुषों की उपेक्षा के चलते परिवार नियोजन का सपना धूल धूसरित दिख रहा है। जिले में परिवार नियोजन की सभी योजनाओं पर पुरुषों की उपेक्षा भारी साबित हो रही है।

पिछले वित्तीय वर्ष में जिले के स्वास्थ्य महकमे को जनसंख्या नियोजन के लिए सभी लक्ष्य औंधे मुंह गिर गए। सबसे बुरा हाल नसबंदी योजना का रहा। योजना के तहत जिला पूरी तरह से फेल हो गया। कुल लक्ष्य के सापेक्ष महज 11 फीसद ही पूर्ति हो सकी। जिले को कुल 9072 लोगों की नसबंदी का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी महज 990 नसबंदी ही पूरे साल हो सकी। इस मामले में पुरुष तो बहुत पीछे रहे। 907 पुरुषों के लक्ष्य के सापेक्ष महज एक पुरुष ने हिम्मत दिखाई और नसबंदी करवाई। वहीं दूसरी ओर 8165 लक्ष्य के सापेक्ष 989 महिलाएं आगे आई।

यहां भी शर्माते रहे

गर्भ निरोधक कंडोम के प्रयोग में भी पुरुष शर्माते रहे। लक्ष्य के सापेक्ष इस मामले में भी महज 40.70 फीसद की सफलता मिली। कुल 19735 लोगों को कंडोम से संतृप्त करने का लक्ष्य रखा गया था जबकि महज 8032 लोगों को ही जोड़ा जा सका।

72 फीसद ने लगवाया कापरटी

कापरटी के लिए महिलाएं आगे आई। जिले को कुल 27001 का लक्ष्य मिला था। जिसके सापेक्ष 72 फीसद से अधिक 19532 महिलाओं ने कापरटी लगवाई। जबकि 10188 माला एन गोलियों से आच्छादित करने का लक्ष्य दिया गया था जिसमें 5582 महिलाओं ने रुचि दिखाई।

ये हैं दिक्कतें

-पुरुष नसबंदी के बाद कमजोरी की बात मानकर इससे पीछे हटते हैं।

-बच्चों पर रोकथाम के लिए रूढ़वादिता भी जिम्मेदार है।

-अस्पतालों में योग्य सर्जन व स्टाफ की कमी बनी हुई है।

बोले जिम्मेदार

इस बाबत मुख्य चिकित्साधिकारी डा.एके अरोड़ा ने बताया परिवार नियोजन के अभियानों में अपेक्षित प्रगति नहीं हो सकी है। इस वर्ष इसकी प्रभावी मानीटरिंग की जाएगी।

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