अहिल्या का उद्धार कर फुलवारी का देखा सौंदर्य

अंबेडकरनगर : रामलीला समिति मुरली नगर चौराहा शिवपुर में रामलीला का आयोजन शुरू हो गय

By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Nov 2018 08:53 PM (IST) Updated:Tue, 13 Nov 2018 08:53 PM (IST)
अहिल्या का उद्धार कर फुलवारी का देखा सौंदर्य
अहिल्या का उद्धार कर फुलवारी का देखा सौंदर्य

अंबेडकरनगर : रामलीला समिति मुरली नगर चौराहा शिवपुर में रामलीला का आयोजन शुरू हो गया है। कलाकारों ने राम विवाह से लेकर लक्ष्मण परशुराम संवाद तक का मंचन किया। इसके पूर्व कलाकारों ने मां दुर्गा की झांकी निकाली। बड़ी संख्या में जुटे लोगों ने कलाकरों की प्रस्तुति की सराहना की। इस मौके पर समिति के अध्यक्ष रमाकर त्रिपाठी, उपाध्यक्ष युवा भाजपा नेता सत्यम त्रिपाठी, दिवाकर त्रिपाठी, वागीश मिश्र, शीबू श्रीवास्तव, कृष्ण कुमार ¨सह, विजय बहादुर ¨सह, संग्राम यादव, सालिक राम राजभर, राम अजोर, संतोष त्रिपाठी, आकाश त्रिपाठी, शनि विश्वकर्मा, राम दुलारे, ¨ककर पाठक एवं समिति के पदाधिकारी मौजूद रहे।

भीटी : स्थानीय कस्बे में चल रही रामलीला के दूसरे दिन भगवान राम ने महर्षि विश्वमित्र की तपस्या में बाधक बने राक्षसों का संहार किया। अहिल्या का उद्धार कर राजा जनक की फुलवारी का सौंदर्य देखा। पहले दिन नारद मोह का मंचन किया गया। निशाचरों के आतंक से महर्षि विश्वामित्र व संपूर्ण मानव जाति का वजूद खतरे में पड़ गया था। इसकी रक्षा के लिएविश्वामित्र महाराज दशरथ के पास अयोध्या पहुंचे। वहां से मानव जाति की रक्षा के लिए वह राम और लक्ष्मण को मांगकर अपने साथ ले जाते हैं। वन में राम, लक्ष्मण के कुशल सुरक्षा में अपनी तपस्या पूर्ण की। तपस्या में बाधा पहुंचाने वाले राक्षसी ताड़का, सुबाहु जैसे राक्षसों का वध किया। वन भ्रमण के दौरान गौतम ऋषि की नारी अहिल्या का उद्धार किया। आयोजक मंडल के सियाराम मोदनवाल, मोहम्मद जुन द सोनू, सुनील गुप्त, संजय तिवारी, मनीष बारी, वीरेंद्र अग्रहरि, पवन गुप्त, प्रदीप गुप्त, घनश्याम मोदनवाल, दुर्गेश, वैभव दुबे आदि सहयोग में लगे रहे।

किछौछा : ग्राम पंचायत अजमेरी बादशाहपुर दर्जीपुर में रामलीला मंचन के तीसरे दिन भगवान राम और जानकी स्वयंवर का मंचन कलाकारों ने किया। रामलीला मंचन के दौरान जब भगवान राम राजा जनक की स्वयंवर सभा में अनुज लक्ष्मण के साथ पहुंचते हैं तो वहां पर उपस्थित राजा महाराजाओं ने स्वागत किया। तत्पश्चात रावण व बाणासुर का संग्राम होता है। दूरदराज से आए राजा शिव धनुष को तोड़ने का प्रयास करते हैं। गुरु वशिष्ट की आज्ञा लेकर भगवान राम शिव धनुष तोड़ते हैं और मां जानकी भगवान राम को वरमाला पहनाकर वैदिक सभ्यता का मनोरम ²श्य प्रस्तुत किया। तत्पश्चात भगवान परशुराम का आगमन होता है। परशुराम और लक्ष्मण संवाद होता है। राजा दशरथ अयोध्या से बारात लेकर पहुंचते हैं, जहां पर उनका स्वागत जनकपुर वासियों द्वारा किया गया। मंचन में अध्यक्ष त्रिभुवन मौर्य, लालता प्रसाद यादव, राजेश यादव, राम सरोज मौर्य, रमेश कुमार, राम संवारे मौर्य, बृज बिहारी यादव, शिवचंद यादव, चंद्रबली यादव, सुभाष सैनी आदि का सहयोग रहा।

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