कोरोना की दूसरी लहर के बाद महानगर लौट रहे कामगार, ​​​​​हाउसफुल होकर जा रही मुंबई की ट्रेनें

महानगरों के लिए रेलवे ने कई स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं। कुछ के फेरे बढ़ाए गए हैं। लेकिन जनरल से लेकर स्लीपर श्रेणी के कोचों को देखकर यही लगता है कि ये इंताजाम नाकाफी हैं। मुंबई की ओर जाने वाली काशी पवन गोदान साकेत कामायनी एक्सप्रेस फुल होकर जा रही है।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Tue, 29 Jun 2021 03:30 PM (IST) Updated:Tue, 29 Jun 2021 03:30 PM (IST)
कोरोना की दूसरी लहर के बाद महानगर लौट रहे कामगार, ​​​​​हाउसफुल होकर जा रही मुंबई की ट्रेनें
आर्थिक संकट झेल रहे लोग लौट रहे रोजगार पर, अनदेखी के चलते भुगतना पड़ सकता है खामियाजा

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। मुंबई की ओर जाने वाली ट्रेनों में सीटें फुल हैं। लेकिन, रोजगार के सिलसिले में प्रयागराज समेत पूर्वांचल के जिलों से जाने वालों की संख्या में लगातार इजाफा देखा जा रहा है। ऐसे में ट्रेनें हाउसफुल होकर जा रही हैं। कोविड-19 की गाइड लाइन का अनुपालन न होने से लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। कोरोना के केस कम होने पर प्रवासी श्रमिकों का बुलावा आ रहा है। आर्थिक संकट झेल रहे लोग कमाई के लिए लौटने लगे हैं। परिवार सहित लौटने के चक्कर में वे सबको कोरोना के खतरे में डाल रहे हैं। एक्सपर्ट कहते हैं कि यही लापरवाही कोरोना की तीसरी लहर फैलने के लिए जिम्मेदार साबित होने वाली है।

लोग ट्रेन में खड़े होकर सफर कर रहे

महानगरों के लिए रेलवे ने कई स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं। कुछ के फेरे बढ़ाए गए हैं। लेकिन, जनरल से लेकर स्लीपर श्रेणी के कोचों को देखकर यही लगता है कि ये इंताजाम नाकाफी हैं। मुंबई की ओर जाने वाली काशी, पवन, गोदान, साकेत और कामायनी एक्सप्रेस फुल होकर जा रही है। आलम यह है कि लोग ट्रेन में खड़े होकर सफर कर रहे हैं। छपरा से लोकमान्य तिलक जाने वाली गोदान एक्सप्रेस प्रयागराज जंक्शन पहुंची तो जनरल से लेकर स्लीपर बोगी में फर्क समझना मुश्किल था। कोविड प्रोटोकाल की अनदेखी के चलते कभी भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। भीड़ की वजह से शारीरिक दूरी भी तार-तार हो रही है। महानगर लौट रहे लोग खुद के साथ अपने बच्चों को भी लेकर जा रहे हैं। मास्क कोई नहीं लगा रहा है। इसे घातक लापरवाही कहा जा सकता है।

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