एक दशक से 13 ब्लाकों में तेजी से गिरा जलस्तर Prayagraj News

जिले के जसरा और सोरांव ब्लाक में 40 से 50 सेंटीमीटर सलाना की गति से भूगर्भ जल का स्तर गिरा है। इन इलाकों में पानी रिचार्ज के लिए अधिकतर तालाबों को पाट दिया गया है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 24 Feb 2020 05:51 PM (IST) Updated:Mon, 24 Feb 2020 05:51 PM (IST)
एक दशक से 13 ब्लाकों में तेजी से गिरा जलस्तर Prayagraj News
एक दशक से 13 ब्लाकों में तेजी से गिरा जलस्तर Prayagraj News

प्रयागराज,जेएनएन। नहरें सूखी हैं, तालाब पाट दिए गए और बारिश का पानी नदियों के जरिए बह जा रहा है। ऐसे में हम सिंचाई से पीने और घरेलू उपयोग के लिए भूगर्भ जल पर निर्भर हैं। पिछले कुछ सालों से भूगर्भ जल पर निर्भरता ऐसी हुई कि पीने के पानी का संकट गहराने लगा है। भूगर्भ जल विभाग की रिपोर्ट में बताया गया कि एक दशक में 13 ब्लाकों में तेजी से जल स्तर गिरा है। जबकि सात ब्लाक अभी सेफ जोन में हैं।

भूगर्भ जल की अंधाधुंध निकासी से गिरा जलस्‍तर

दरअसल हरित क्रांति के दौर में गांव-गांव सिंचाई के लिए पंप लगाकर खेती तो अच्छी कर ली गई है लेकिन उसका अब दुष्प्रभाव पडऩे लगा है। लोगों ने सिंचाई के लिए भूगर्भ जल की अंधाधुंध निकासी की और रीचार्ज के लिए प्राकृतिक श्रोतों को पाट दिया। ऐसे में भूगर्भ जल विभाग ने 2009 से 2018 तक बारिश से पूर्व भूगर्भ जल के आंकड़े जुटाकर शासन को रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट में बताया गया कि जिले के जसरा और सोरांव ब्लाक में 40 से 50 सेंटीमीटर सलाना की गति से भूगर्भ जल का स्तर गिरा है। इन इलाकों में पानी रिचार्ज के लिए अधिकतर तालाबों को पाट दिया गया है। वहीं शंकरगढ़ क्षेत्र में 20 से 30 से सेंटीमीटर की दर से सलाना गिरावट हो रही है। शंकरगढ़ पहाड़ी इलाका है यहां पर पहले से ही पानी बहुत नीचे हैं। उसमें भी गिरावट दर्ज की गई है। इसके बाद बहरिया, चाका, धनुपुर, होलागढ़, करछना और सैदाबाद विकास खंड क्षेत्रों में 10 से 20 सेंटीमीटर सलाना भूगर्भ जल स्तर गिरा है। वहीं मांडा, मेजा, फूलपुर और प्रतापपुर में 10 सेंटीमीटर से कम की गिरावट है।

भूगर्भ जल का उपयोग करें लेकिन बारिश से इनको रिचार्ज करना भी जरूरी

भूगर्भ जल विभाग के अधिशासी अभियंता रविकांत सिंह का कहना है कि भूगर्भ जल का उपयोग करें लेकिन बारिश से इनको रीचार्ज भी करें। प्रशासन अभियान चल रहा है। अब जिनने तालाब पर कब्जा किया है, वह खुद खाली करके भविष्य के लिए पानी का इंतजाम कर दें।

नहरों से हो सिंचाई तो बचे भूगर्भ जल

खेतों की सिंचाई अगर नहरों के जरिए हो तो भूगर्भ जल बच जाएगा। अभी जिले में जो नहरें हैं, वह भी नियमित रूप से नहीं चलती है इसलिए लोग सबमसिर्बल लगाकर भूगर्भ जल का दोहन कर रहे हैं। इसी का नतीजा है कि वाटर लेवल गिर रहा है।

कहां कितनी है सालाना गिरावट

40 से 50 सेंटीमीटर जसरा और सोरांव ब्लाक में

20 से 30 सेंटीमीटर शंकरगढ़ ब्लाक में

10 से 20 सेंटीमीटर बहरिया, चाका, धनुपुर, होलागढ़, करछना और सैदाबाद

0 से 10 सेंटीमीटर मांडा, मेजा, फूलपुर और प्रतापपुर में

सेफ जोन में यह ब्लाक

बहादुरपुर, हंडिया, कौंधियारा, कौडि़हार, कोरावं, मऊआइमा और उरुवा ब्लाक।

chat bot
आपका साथी