यूपीपीएससी अहम पदों पर बदलाव से एक कदम दूर, दो वर्ष से अधिक लगा समय

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के अहम पदों पर बदलाव करने में योगी सरकार को दो वर्ष से अधिक समय लगा है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Sun, 30 Jun 2019 04:31 PM (IST) Updated:Sun, 30 Jun 2019 09:56 PM (IST)
यूपीपीएससी अहम पदों पर बदलाव से एक कदम दूर, दो वर्ष से अधिक लगा समय
यूपीपीएससी अहम पदों पर बदलाव से एक कदम दूर, दो वर्ष से अधिक लगा समय

प्रयागराज, जेएनएन। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के अहम पदों पर बदलाव करने में योगी सरकार को दो वर्ष से अधिक समय लगा है। सांविधानिक दर्जे के कारण अध्यक्ष और कई सदस्यों का कार्यकाल इसमें आड़े आया। अब जुलाई में नए अध्यक्ष डॉ. प्रभात कुमार के साथ अधिकांश सदस्य इसी सरकार में नियुक्ति पाने वाले होंगे। सिर्फ एक सदस्य जिन्हें सपा शासनकाल में तैनाती मिली, उनका कार्यकाल अगले वर्ष तक है।

योगी सरकार ने सत्ता में आने के तीसरे दिन यूपीपीएससी में परीक्षा परिणाम व साक्षात्कार रोककर कड़ा संदेश दिया था। पहली बार किसी प्रदेश सरकार ने ऐसा कदम उठाया था। मंशा बदलाव की ही थी, लेकिन भर्ती संस्थान का खास दर्जा उसमें आड़े आया। करीब तीन माह तक उहापोह के बाद सरकार ने सचिव व परीक्षा नियंत्रक को बदल दिया, लेकिन अन्य पदों के चेहरे यथावत थे।

सात सदस्यों का कार्यकाल पूरा होते ही उनके जगह नई नियुक्तियां हुईं। इसी बीच एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती 2018 का पेपर लीक उजागर होने हुआ और परीक्षा नियंत्रक जेल गईं तो उन्हें भी निलंबित किया गया। कुछ दिन पहले ही नए परीक्षा नियंत्रक अरविंद कुमार मिश्र की तैनाती हो गई है। दो जुलाई को नए अध्यक्ष डॉ. कुमार व सदस्य प्रेम कुमार सिंह भी ज्वाइन हो सकते हैं। इसी के साथ आयोग के कामकाज में बदलाव दिखने की उम्मीद है।

अनु सचिव व संयुक्त सचिव की तैनाती में हो बदलाव

सरकार आयोग में सचिव व परीक्षा नियंत्रक के अलावा अनु सचिव व संयुक्त सचिव के चार पदों पर भी नई नियुक्तियां कर सकती है। इनमें से कुछ पदों पर ही योगी सरकार ने बदलाव किया है, बाकी पर कमीशन के ही अफसरों को मौका दिया गया है। असल में, आयोग में पीसीएस अफसर आने को तैयार नहीं होते, नए अध्यक्ष को इसके लिए माहौल तैयार करना पड़ेगा। प्रतियोगी कहते हैं कि इसमें भी बदलाव की जरूरत हैं, तभी कार्यशैली में अंतर आएगा।

विवादित भर्तियों को करें रद

प्रतियोगी आयोग की विवादित भर्तियों को रद करने के पक्षधर हैं। इसमें आरओ-एआरओ 2016 व एलटी ग्रेड 2018 परीक्षा है, उनका कहना है कि गंभीर आरोपों के कारण रिजल्ट देने से आरोप लगते रहेंगे। वहीं, आरओ-एआरओ की भर्ती नए सिरे से होने से आयोग को अच्छे अधिकारी मिल सकेंगे, ज्ञात हो कि आयोग में तमाम पद खाली हैं।

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