जम्मू-कश्मीर से भेजे गए जमात के सदस्य की प्रयागराज की नैनी जेल में मौत, काफी समय से था बीमार

जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा बोनापार गांव निवासी गुलाम मोहम्मद भट (72) को आतंंकी गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप में 20 बंदियों के साथ प्रयागराज स्थित नैनी जेल लाया गया था।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Sun, 22 Dec 2019 09:11 PM (IST) Updated:Sun, 22 Dec 2019 09:19 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर से भेजे गए जमात के सदस्य की प्रयागराज की नैनी जेल में मौत, काफी समय से था बीमार
जम्मू-कश्मीर से भेजे गए जमात के सदस्य की प्रयागराज की नैनी जेल में मौत, काफी समय से था बीमार

प्रयागराज, जेएनएन। केंद्रीय कारागार नैनी में निरुद्ध आतंकी गतिविधियों में लिप्त जम्मू-कश्मीर के एक बंदी की इलाज के दौरान शुक्रवार को प्रयागराज के एसआरएन अस्पताल में मौत हो गई। उसे दो माह पहले जम्मू-कश्मीर से नैनी जेल स्थानांतरित किया गया था। प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-ए-इस्लाम के सदस्य रहे गुलाम मोहम्मद भट (72) को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत गिरफ्तार किया गया था।

जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा बोनापार गांव निवासी गुलाम मोहम्मद भट पुत्र मो. सुल्तान भट्ठ को आतंंकी गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप में 11 अगस्त को 20 बंदियों के साथ नैनी जेल लाया गया था। उसको जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद अन्य कई लोगों के साथ पांच अगस्त को पकड़ा गया था। भट पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट अगले साल नौ जनवरी को खत्म होना था। नैनी जेल में दाखिल होने के दौरान हुए स्वास्थ्य परीक्षण में चिकित्सकों ने उसे गंभीर बीमारी से पीड़ित पाया था, तभी से चिकित्सकों की टीम उसका इलाज कर रही थी।

शुक्रवार को हालत बिगड़ने पर उसे जेल से एसआरएन अस्पताल रेफर कर दिया गया, जहां इलाज के दौरान देर रात उसकी मौत हो गई। उसके शव को एयरलिफ्ट कर उसके परिजनों को सौंप दिया गया है। उस पर दो केस दर्ज थे। एक साल 2016 में और दूसरा 2019 में लगाया गया था। भट की मौत पर पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के ट्वीटर हैंडल पर उनकी बेटी ने निंदा की और कहा कि भट पहला राजनीतिक कैदी है, जिसकी राज्य के बाहर जेल में मौत हुई। उन्होंने यह भी लिखा कि गृह मंत्रालय को ही इसके लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा।

बता दें कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद वहां की जेलों से कैदियों और बंदियों को दूसरी जेलों में शिफ्ट किया गया था। इसी क्रम में वहां की जेलों में पब्लिक सिक्योरिटी एक्ट (पीएसए) और अन्य धाराओं में बंद सौ से अधिक कैदी पत्थरबाज व आतंकियों को उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों में ट्रांसफर किया गया था। केंद्रीय कारागार नैनी में भी करीब दो दर्जन बंदियों को शिफ्ट किया गया था।

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