जब बना था कुंभ के इतिहास का सबसे लंबा पांटून पुल, जानिए कहां से कहां तक बना था यह पुल Prayagraj News

कुंभ 2019 में आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ को निकालने के लिए मेले में फाफामऊ और झूंसी के छतनाग क्षेत्र में अतिरिक्त पांटून पुल का निर्माण कराया गया था। छतनाग के समीप से अरैल क्षेत्र में डीपीएस स्कूल के पास निकाले गए पांटून पुल की लंबाई 1.1 किलोमीटर थी।

By Rajneesh MishraEdited By: Publish:Thu, 07 Jan 2021 03:22 PM (IST) Updated:Thu, 07 Jan 2021 03:22 PM (IST)
जब बना था कुंभ के इतिहास का सबसे लंबा पांटून पुल, जानिए कहां से कहां तक बना था यह पुल Prayagraj News
1.1 किलोमीटर सबसे लंबे पुल में 230 पीपे यानी पांटून का प्रयोग किया गया था।

प्रयागराज, जेएनएन। प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने वर्ष 2019 में प्रयागराज में कुंभ का भव्य आयोजन किया था। 32 सौ हेक्टेयर (तकरीबन आठ हजार एकड़) में आबाद इस मेले में गंगा-यमुना नदियों के आरपार जाने व आने के लिए 22 पांटून पुल बनाए गए थे जिसमें कुंभ मेला के इतिहास का सबसे लंबा पांटून पुल भी शामिल था जिसे झूंसी में छतनाग घाट के पास से गंगा नदी पर बनाया गया था। गंगा के दूसरी ओर यह पुल नैनी के अरैल क्षेत्र में निकाला गया था।

एक किमी. से अधिक लंबे पुल में लगाए गए थे 230 पांटून

कुंभ 2019 में आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ को निकालने के लिए मेले में फाफामऊ और झूंसी के छतनाग क्षेत्र में अतिरिक्त पांटून पुल का निर्माण कराया गया था। छतनाग के समीप से अरैल क्षेत्र में डीपीएस स्कूल के पास निकाले गए 19 नंबर पांटून पुल की लंबाई 1.1 किलोमीटर थी जिसमें 230 पीपे यानी पांटून का प्रयोग किया गया था। लोक निर्माण विभाग के माघ मेला इकाई के अधिशासी अभियंता सुनील कठेरिया का कहना है कि कुंभ मेले के इतिहास में इतना लंबा पुल पहली बार बनाया गया था। कुंभ मेले के इतिहास में 22 पांटून पुल भी 2019 में पहली बार ही बनाए गए थे। प्रयागराज में आयोजित हुए इससे पहले के कुंभ व माघ मेले में इतने पांटून पुल कभी नहीं बनाए गए थे।

गंगा में तेज बहाव व लंबा पाट था पुल निर्माण में चुनौती

कुंभ मेले को लेकर वैश्विक प्रचार प्रसार के चलते 2019 में भारी तादात में श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद थी इसलिए सरकार भी तैयारी में कोई भी कसर नहीं छोडऩा चाह रही थी। जब छतनाग में अतिरिक्त पांटून पुल बनाने का निर्णय हुआ तो इंजीनियरों के समक्ष गंगा का लंबा पाट व तेज बहाव बड़ी चुनौती के रूप में सामने आया लेकिन पुल के निर्माण में लगी अनुभवी टीम ने बानी के बहाव को बंडलिंग विधि से धीमा कर समस्या से पार पा लिया।  

अनुभवी टीम ने 45 दिन के भीतर तैयार कर दिया था पुल  

छतनाग घाट से अरैल के बीच बनाए गए पांटून पुल का निर्माण पूरा करने के लिए 45 दिनों का लक्ष्य लोक निर्माण विभाग को दिया गया था। टॉस्क को अंजाम तक पहुंचाने के लिए कई साल से पांटून पुल निर्माण का काम कर रहे अनुभवी श्रमिकों व फोरमैन को जिम्मा सौंपा गया जिन्होंने 230 पांटून जोड़कर तय समय में पुल को तैयार कर दिया। पुल को मजबूती देने के लिए हर पांच मीटर पर एक पांटून का इस्तेमाल किया गया था। इसके पहले 2018 के माघ मेले में झूंसी से दारागंज के बीच गंगा नदी पर भी लंबा पुल बनाया गया था जिसमें 135 पांटून का इस्तेमाल किया गया था।

माघ मेला 2021 के लिए बनाए गए पांच पांटून पुल

प्रयागराज में चंद दिनों में शुरू होने जा रहे माघ मेला 2021 में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पांच पांटून पुल बनाए जा रहे हैं। महावीर मार्ग, त्रिवेणी मार्ग, काली मार्ग, शिवाला और ओल्ड जीटी रोड के सामने निर्मित होने वाले यह पुल बनकर तैयार भी हो चुके हैं। माघ मेला कार्य देख रहे लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता सुनील कठेरिया के अनुसार फाफामऊ, अरैल में दो अतिरिक्त पांटून पुलों का निर्माण भी जरूरत होने पर कराया जाएगा। बताया कि 650 हेक्टेयर क्षेत्रफल व पांच सेक्टर में बसाए जाने वाले माघ मेला क्षेत्र में 22 सड़कें बनाई जाएंगी।

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