स्‍वच्‍छता की मुहिम में सृजनात्‍मकता का संगम, वेस्‍ट मैटेरियल से तैयार कर रहीं भगवान की प्रतिमा

2008 में कलावा से गणेश की आकृतियां बनाईं। इसके बाद रद्दी गत्ता सीडी कैसेट फोम रूई आदि से गणेश की आकृतियां बनानी शुरू कर दी। यह सिलसिला चलता रहा। अब तक करीब दो हजार गणेश की आकृतियां बनाकर वह लोगों को उपहार के रूप में दे चुकी हैं।

By Rajneesh MishraEdited By: Publish:Thu, 14 Jan 2021 07:00 AM (IST) Updated:Thu, 14 Jan 2021 08:50 AM (IST)
स्‍वच्‍छता की मुहिम में सृजनात्‍मकता का संगम, वेस्‍ट मैटेरियल से तैयार कर रहीं भगवान की प्रतिमा
रद्दी गत्ता, सीडी कैसेट, फोम, रूई आदि से गणेश की आकृतियां बनाना शुरू किया।

 प्रयागराज, [अमितेश पांडेय]। ईश्वर के कई रूप हैं। सभी अपने तरीके से उपासना और साधना करते हैं। इन्हीं में से एक हैं सीता मैया। उन्होंने अपने आसपास स्वच्छता रखते हुए वातावरण को सात्विक बनाने का बीड़ा उठाया है। इसके लिए वह रद्दी चीजों को एकत्र कर अपने आराध्य भगवान गणेश का आकार दे रही हैं। गजानन की यह प्रतिमाएं जहां लोगों के लिए उपासना का जरिया बन रही हैं, वहीं घरों से कबाड़ भी खत्म हो जाते हैं। यह कार्य उनकी सृजनात्मकता के प्रदर्शन का भी जरिया बना हुआ है। खास बात यह कि निर्मित प्रतिमाओं को वह लोगों को उपहार में देती रही हैं।

अल्लापुर निवासी 80 वर्षीय सीता श्रीवास्तव बताती हैं कि 2006 में पति की मौत के बाद वह अकेली पड़ गईं। इसी दौरान कुछ अलग करने की चाह हुई। घर में वेस्ट मैटरियल भी बहुत ज्यादा हो गए थे। 2008 में कलावा से गणेश की आकृतियां बनाईं। इसके बाद रद्दी गत्ता, सीडी कैसेट, फोम, रूई आदि से गणेश की आकृतियां बनानी शुरू कर दी। यह सिलसिला चलता रहा। अब तक करीब दो हजार गणेश की आकृतियां बनाकर वह लोगों को उपहार के रूप में दे चुकी हैं।

 

कोरोना काल में भी नहीं रुके हाथ

सीता श्रीवास्तव बताती हैं कि वह भारत विकास परिषद, ऑल इंडिया वूमेंस कांफ्रेंस और सीनियर सिटीजन संगठन से जुड़ी हैं। लॉकडाउन में सभी गतिविधियां बंद हो गई थीं। इस दौरान घर वालों ने सहयोग किया। कोरोना काल में करीब 20 से 25 आकृतियां बनाईं। इसमें से अधिकांश आकृतियों को संगठन से जुड़ी अन्य महिलाओं को दीं। साथ ही सांसद केसरी देवी पटेल को भी गणेश की आकृतियां भेंट कर चुकी हैं।

अब सूखे नारियल से दे रहीं आकार

सीता श्रीवास्तव बताती हैं कि मन में अभी भी कुछ अलग करने की चाह बनी हुई है। इसी के चलते नए-नए प्रयोग करती रहती हूं। अब सूखे नारियल से गणेश जी की आकृतियां बना रहीं हैं। इसे बनाने में खर्च भी आता है। हालांकि बेटे के सहयोग से यह सिलसिला मरते दम तक चलता रहेगा।

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