Emergency : लाल डायरी में लिखा है काले दिनों का इतिहास Prayagraj News

अपनी लाल डायरी में लिख रखा है। आषाढ़ महीने की 26 जून वह तारीख थी जिसने देश के अधिकांश नागरिकों के माथे पर रेखाएं बना दी थीं कि लोकतंत्र का यह कैसा मजाक है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Thu, 25 Jun 2020 09:11 AM (IST) Updated:Thu, 25 Jun 2020 09:11 AM (IST)
Emergency : लाल डायरी में लिखा है काले दिनों का इतिहास Prayagraj News
Emergency : लाल डायरी में लिखा है काले दिनों का इतिहास Prayagraj News

 प्रयागराज,जेएनएन।  जिन्होंने आपातकाल का वो काला दिन देखा और झेला है, उसको लेकर उनकी अपनी यादे हैैं। बात करने पर वह अपने मन मस्तिष्क पर जोर देते हैैं और याद कर बताते हैैं कि काला अध्याय था वह। ऐसे ही एक चश्मदीद हैैं मीरापुर निवासी 91 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक प्रेमशंकर खरे, जिन्होंने इसी विषय पर एक डायरी 'आपातकाल के 100 दिन और उसके बादÓ लिख रखी है। डायरी का कवर पृष्ठ लाल है और उसके पन्नों में दर्ज है आपातकाल के काले इतिहास का वृतांत।

क्‍या है लिखा है डायरी के पहले पेज पर

डायरी का पहला पेज आप भी पढि़ए। 'भारत के इतिहास के आंतरिक विद्रोह अथवा उसकी आशंका के कारण संकटकालीन घोषणा का यह प्रथम अवसर है। जिस समय देश को आजादी मिली, मैं विश्वविद्यालय का छात्र था। आकांक्षाओं, स्वप्न, बलवती आशाओं और असीम विश्वास के हिंडोले पर बैठ उमंगों की पेंग मारता हुआ वह उन्मुक्त जीवन! स्वतंत्रता और प्रजातंत्र की डोर पकड़कर आकाश के मेघों से स्पर्धा करने वाला वह यौवन। और आज अपनी अधेड़ अवस्था (जब लिखा तब अधेड़ थे) में क्या देख रहा हूं? बहुत कुछ हिला देने वाली घटनाएं वर्षों से मन को बोझिल बना रही थी। प्रचार और झूठा प्रचार, सत्य और झूठा सत्य। निष्ठा और कपट के बीच अंतर करना कठिन हो गया था।

सहेज कर रखा अखबार का वह अंक

 रोंगटे खड़े कर देने वाली यह उनकी मार्मिक वेदना है। आपातकाल के काले दिन को उन्होंने अपनी लाल डायरी में लिख रखा है। आषाढ़ महीने की 26 जून वह तारीख थी जिसने देश के अधिकांश नागरिकों के माथे पर रेखाएं बना दी थीं कि लोकतंत्र का यह कैसा मजाक है। शाम को एक अंग्रेजी अखबार का असाधारण अंक बाजार में आया और अचानक गायब भी हो गया। जिससे भी बना, उसने डरते-कांपते अखबार की प्रति चुरा ली और फिर आपातकाल में जो भी घटा वह देश के डेढ़ साल के इतिहास को आज भी काला बता रहा है। अंग्रेजी अखबार का 26 जून 1975 को प्रकाशित असाधारण अंक का मुख पृष्ठ भी उन्होंने 45 साल से सहेज कर रखा है। इस डायरी और अखबार के पृष्ठ को वे किसी लाइब्रेरी को दान करने के इच्छुक हैं।

डायरी बताती है कब क्या हुआ

78 पेज की डायरी में 1975 के 26 जून से चार अक्टूबर की अलग-अलग तिथियों की अलग-अलग दिन में लिखी दास्तान है। पन्ने बताते हैं कि किस तारीख को क्या हुआ, कौन कैसे पकड़ा गया। पुलिस राज ने जनता को कैसे भयभीत किया। जय प्रकाश नारायण ने प्रधानमंत्री को क्या चिटठी भेजी, पुलिस ने कैसे पूछताछ के नाम पर प्रवक्ता रामगोपाल संड को भी गिरफ्तार किया।

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