Coronavirus effect : संक्रमण के कारण अदालतों में लंबित मुकदमों का बोझ Prayagraj News

ऑनलाइन सुनवाई में यह भी परेशानी है कि अगर प्रार्थना पत्र में थोड़ी भी गड़बड़ी होती है तो उस पर सुनवाई नहीं होती। दोबारा ऑनलाइन प्रार्थना पत्र देना पड़ता है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 02 Aug 2020 10:30 AM (IST) Updated:Sun, 02 Aug 2020 10:30 AM (IST)
Coronavirus effect : संक्रमण के कारण अदालतों में लंबित मुकदमों का बोझ Prayagraj News
Coronavirus effect : संक्रमण के कारण अदालतों में लंबित मुकदमों का बोझ Prayagraj News

प्रयागराज,जेएनएन। कोरोना ने अदालतों की कार्रवाई पर भी ब्रेक लगा दिया है। न्यायालयों में पहले से ही लंबित मामले अधिक थे और अब कोरोना की वजह से ऐसा बोझ बढ़ा है कि इससे उबरने में काफी समय लग सकता है। कोरोना की वजह से 22 मार्च से जिला अदालत बंद हो गई थी। आठ मई को खुली तो महज 18 दिन तक ही चली और 25 मई से फिर न्यायालयों के दरवाजों पर ताले लटक गए।

कोर्ट खुलने के बाद नए मुकदमे दाखिल होंगे, जिस कारण परेशानी और बढ़ेगी। हालांकि 18 दिन तक जब कोर्ट खुली तो वर्जुअल कोर्ट के माध्यम से सुनवाई हुई। इसमें सिर्फ जमानत प्रार्थना पत्रों को जिला जज, विशेष न्यायाधीश एससी, एसटी एक्ट, पास्को एक्ट और सीजेएम द्वारा सुना गया। इस दौरान कई आर्डर भी हुए। इसमें सिर्फ दोनों पक्षों के अधिवक्ता ही शामिल हुए। बोलने के लिए तय समयसीमा भी निर्धारित की गई थी। पीडि़त पक्ष इससे दूर था। अगर उसकी जमानत अर्जी खारिज हो जाती तो वह अपने अधिवक्ता को यह कहने में नहीं चूकता कि वह ठीक से अपनी बात कोर्ट के सामने नहीं रख सके। इस वजह से फीस भी मुश्किल से मिलती है। ऑनलाइन सुनवाई में यह भी परेशानी है कि अगर प्रार्थना पत्र में थोड़ी भी गड़बड़ी होती है तो उस पर सुनवाई नहीं होती। दोबारा ऑनलाइन प्रार्थना पत्र देना पड़ता है, जिसका खर्च पीडि़त पक्ष फिर से वहन करता है।

अतीक, गायत्री भी लाइन में

पूर्व सांसद अतीक अहमद, पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति समेत कई मामलों की सुनवाई एमपी, एमएलए कोर्ट में होती है। इस कोर्ट में ऐसे करीब तीन हजार मामले लंबित हो चुके हैं।

नए मामले नहीं हो रहे दाखिल

22 मार्च के बाद से नए मामले न्यायालयों में दाखिल नहीं हो रहे हैं। पूरी तरह से कोर्ट खुलने के बाद ये मामले दाखिल होंगे, जिस कारण पहले से लंबित पड़े मुकदमे और आगे बढ़ जाएंगे।

पटरी से उतरी आर्थिक स्थिति

कोरोना से सभी की आर्थिक स्थिति खराब हुई है। इसी में मध्यम व निम्न वर्ग के अधिवक्ता शामिल हैं। कोर्ट बंद होने से इनकी आर्थिक स्थिति खराब हुई है। सरकार से कोई राहत भी नहीं मिली है।

बोले वरिष्ठ अधिवक्ता

अधिवक्‍ता श्यामजी टंडन का कहना है कि कोर्ट बंद होने से लंबित मामलों का बोझ बढ़ गया है। न्यायालय खुलने पर इसे तेजी से निपटाए जाने की जरूरत है। अधिवक्‍ता प्रहलाद स्वरूप भटनागर का कहना है कि कोरोना के कारण न्यायालय बंद हुए, जिससे सुनवाई नहीं हो सकी। अब तेजी से सुनवाई करने की आवश्यकता है। अधिवक्‍ता कैलाश नाथ श्रीवास्तव का कहना है कि ऑनलाइन सुनवाई में अभी और तेजी लाए जाने की जरूरत है, ताकि पीडि़त व्यक्तियों को शीघ्रता से न्याय मिल सके। अधिवक्‍ता विकास गुप्ता ने कहा कि बड़ी संख्या में लोग सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं। अब न्यायालय बंद होने से ये मुकदमे और आगे खिसक जाएंगे।

खास बातें

03 हजार मामले एमपी, एमएलए कोर्ट में

18 दिन ही वर्जुअल कोर्ट के माध्यम से हुई सुनवाई

52 मामले सीबीसीआइडी के हैं पेंडिंग

65 हजार मुकदमे पहले से हैं लंबित

100 मामले मनोरंजन कर से जुड़े हुए

1000 केस प्रयागराज विकास प्राधिकरण के

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