प्रतापगढ़ में शिक्षिका प्रीति स्कूल में बच्चों को बना रही हैं संस्कारी

अपने निजी वेतन से गरीब बच्चों के लिए किताबें कपड़े देना उनकी बच्चों के प्रति समर्पण को दर्शाता है। मुख्यमंत्री ने जिले में दौरों के दौरान तत्कालीन बीएसए डॉ बीएन सिंह के कहने पर डॉ प्रीति द्वारा जो कैंप लगाया गया उसका नेतृत्व डॉ. प्रीति मिश्रा के बच्चों ने संभाला।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 03:36 PM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 03:36 PM (IST)
प्रतापगढ़ में शिक्षिका प्रीति स्कूल में बच्चों को बना रही हैं संस्कारी
शिक्षिका प्रीति बच्चों को पढ़ाई के साथ संस्कार की शिक्षा देना नहीं भूलती हैं।

प्रयागराज, जेएनएन। प्रतापगढ़ की शिक्षिका प्रीति बच्चों को पढ़ाई के साथ संस्कार की शिक्षा देना नहीं भूलती हैं। महापुरुषों की जयंती पर उनके संस्कारों को बच्चों में समाहित करने का पूरा प्रयास करना टीचर डॉ. प्रीति मिश्रा की पहली प्राथमिकता में रहता है। अपने आदर्श शिक्षण से प्रीति ने यह बता दिया कि प्राथमिक विद्यालय में अच्छी पढ़ाई कराई जाए तो नर्सरी स्कूलों में कोई जाने को मजबूर नहीं होगा।

कड़ी मेहनत की हो रही सराहना

प्रीति मिश्रा पिपरी खालसा के प्राथमिक विद्यालय में बतौर सहायक अध्यापक नियुक्त की गई थीं। बाद में हेड मास्टर के तौर पर उन्हें प्रोन्नत कर दिया। विद्यालय को 2018 में अंग्रेजी माध्यम की मान्यता मिल गई। प्रीति पहले से ही विद्यालय की दशा सुधारने को लेकर प्रयास में थीं। इंग्लिश मीडियम होते ही उनके उनकी सोच को उड़ान के लिए पंख मिल गए। दहाई के गिनती के बच्चों वाले प्राथमिक विद्यालय को डेढ़ सौ से अधिक संख्या वाले विद्यालय में बदल देने में डॉक्टर प्रीति को देर नहीं लगी। इसके पीछे उनकी कड़ी मेहनत और उनकी सोच को दाद दी जा रही है।

कान्वेंट स्कूल छोड़कर पहुंच रहे बच्चे

अपने निजी वेतन से गरीब बच्चों के लिए किताबें कपड़े देना उनकी बच्चों के प्रति समर्पण को दर्शाता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के जिले में दौरों के दौरान दो बार तत्कालीन बीएसए डॉ बीएन सिंह के कहने पर डॉ प्रीति द्वारा जो कैंप लगाया गया उसका नेतृत्व डॉ. प्रीति मिश्रा के बच्चों ने संभाला। कई बच्चों ने जब यूपी के 75 जिलों का नाम क्रम से गिना दिया तो प्रदेश के मुखिया ने तारीफ की थी। लोग तो यहां तक भी कहते हैं कि तत्कालीन बीएसए बीएन सिंह को गोरखपुर का बीएसए बनाए जाने के पीछे भी इन्हीं प्राइमरी स्कूल के बच्चों के एवं डॉ. प्रीति की मेहनत का परिणाम रहा। कान्वेंट स्कूल छोड़कर जब एक बच्चे शौर्य मिश्र को उसके बाबा खुद प्राथमिक विद्यालय पिपरी खालसा में नामांकन कराने पहुंचे तो प्रीति ने सबसे पहले उसे बुजुर्ग दिवस के बारे में बताया। साथ ही उससे अपने बाबा का चरण स्पर्श कराया और संकल्प दिलाया कि वह अपने बड़े बुजुर्गों का आजीवन सम्मान करता रहेगा।

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