एम. जागरण---स्वयंभू शंकराचार्यो का नहीं लगेगा बोर्ड

इलाहाबाद : प्रयाग में जनवरी में लग रहे कुंभ मेला में स्वयंभू शंकराचार्यो पर अंकुश लगाने की त

By JagranEdited By: Publish:Sat, 11 Aug 2018 10:38 AM (IST) Updated:Sat, 11 Aug 2018 10:38 AM (IST)
एम. जागरण---स्वयंभू शंकराचार्यो का नहीं लगेगा बोर्ड
एम. जागरण---स्वयंभू शंकराचार्यो का नहीं लगेगा बोर्ड

इलाहाबाद : प्रयाग में जनवरी में लग रहे कुंभ मेला में स्वयंभू शंकराचार्यो पर अंकुश लगाने की तैयारी है। मेले में उन्हें शिविर लगाने की अनुमति होगी, बोर्ड भी लगा सकेंगे, लेकिन स्वयं के नाम के साथ शंकराचार्य नहीं लिख पाएंगे। अगर नाम के आगे शंकराचार्य लिखते हैं तो प्रशासन कार्रवाई करेगा। यह कार्रवाई अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के दबाव पर की जाएगी। अखाड़ा परिषद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चार पीठ के पीठाधीश्वरों को शंकराचार्य की सुविधा मुहैया कराने का प्रस्ताव दिया है।

सनातन धर्म की रक्षा व प्रचार-प्रसार को लेकर आदिशंकराचार्य ने द्वारिका, श्रृंगेरी, पुरी एवं ज्योतिष पीठ की स्थापना की। इन पीठों के पीठाधीश्वरों को शंकराचार्य की उपाधि दी जाती है। शंकराचार्य सनातन धर्म के सर्वश्रेष्ठ धर्मगुरु होते हैं, परंतु इधर कुछ वर्षो में बिना पीठ के शंकराचार्य बनने वालों की संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है। अखाड़ा परिषद इसे सनातन धर्म के खिलाफ अनुचित मानता है। कुंभ पर्व में स्वयंभू शंकराचार्यो का महिमा मंडन रोकने के लिए अखाड़ा परिषद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर सिर्फ धार्मिक मान्यता के अनुरूप चार पीठों के पीठाधीश्वरों को शंकराचार्य का सम्मान, सुविधा व मान्यता देने की मांग की, इसमें द्वारिका व ज्योतिष पीठ के लिए शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती, पुरी पीठ से शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती व श्रृंगेरी पीठाधीश्वर भारती तीर्थ का नाम शामिल है। अखाड़ा परिषद की मांग का मुख्यमंत्री योगी ने समर्थन करते हुए आश्वासन दिया है कि प्रशासन चार पीठों के शंकराचार्य को ही तवज्जो देगा।

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तीन पीठ हैं विवादित

देश में स्वयंभू शंकराचार्यो की संख्या दो दर्जन से अधिक है। इसमें आदिशंकराचार्य द्वारा स्थापित ज्योतिष, द्वारिका व पुरी में लंबे समय से विवाद चल रहा है। इन पीठों में कई धर्मगुरु स्वयं पीठाधीश्वर होने का दावा करते हुए शंकराचार्य बताते हैं।

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नागा करेंगे निगरानी

कुंभ पर्व में मेला क्षेत्र की निगरानी के लिए अखाड़ा परिषद पांच सौ नागा संन्यासियों की ड्यूटी लगाएगा। जो श्रीमहंत की निगरानी में काम करेंगे। एक श्रीमहंत के पीछे 50 नागा संन्यासी होंगे, जो अलग-अलग सेंटरों में भ्रमण करेंगे। अगर कहीं बिना पीठ के शंकराचार्य का बोर्ड लगा मिलेगा तो उसे वह स्वयं उतारेंगे। मेला क्षेत्र में अराजकता न फैले उसके लिए भी नागा संन्यासी काम करेंगे।

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