Ayodhya Ram Mandir : रामनगरी इतरा रही तो झूम रहा महावीर भवन, यहीं बनी थी आंदोलन की रणनीति

प्रयागराज स्थित महावीर भवन श्रीराम मंदिर आंदोलन के नायक स्व. अशोक सिंहल का निज निवास है। यहीं मंदिर आंदोलन की पटकथा लिखी गई और सारे अहम निर्णय हुए।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Sun, 26 Jul 2020 07:53 PM (IST) Updated:Sun, 26 Jul 2020 07:53 PM (IST)
Ayodhya Ram Mandir : रामनगरी इतरा रही तो झूम रहा महावीर भवन, यहीं बनी थी आंदोलन की रणनीति
Ayodhya Ram Mandir : रामनगरी इतरा रही तो झूम रहा महावीर भवन, यहीं बनी थी आंदोलन की रणनीति

प्रयागराज [शरद द्विवेदी]। अयोध्या का आहलादित होना स्वाभाविक है अब। सदियों पुराना सपना जो साकार होने जा रहा है श्रीराम जन्मभूमि में मंदिर निर्माण का। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में भूमि पूजन की तिथि जैसे-जैसे करीब आ रही है तो सरयूनगरी में श्रीराम के राज्याभिषेक जैसी खुशी है। इधर प्रयागराज स्थित महावीर भवन भी गर्व से नहीं फूला समा रहा है। यह भवन श्रीराम मंदिर आंदोलन के नायक स्व. अशोक सिंहल का निज निवास है। यहीं मंदिर आंदोलन की पटकथा लिखी गई और सारे अहम निर्णय हुए। 

अशोक सिंहल 1950 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक बने थे। इसके बाद प्रयागराज में 1966 में संगम तीरे पहला 'विश्व हिंदू सम्मेलन' हुआ। इसमें आरएसएस के द्वितीय सर संघ चालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर 'गुरुजी' भी शामिल हुए। वह महावीर भवन में ही रुके थे। अशोक सिंहल उन्हें स्वयं वाहन चलाते हुए कार्यक्रम स्थल तक ले जाते थे। वर्ष 1981 में अशोक सिंहल आरएसएस के अनुषांगिक संगठन विश्व हिंदू परिषद से जुड़े। विहिप ने 1984 में श्रीराम जन्मभूमि में मंदिर निर्माण का मुद्दा उठाया।

इसके बाद तो महावीर भवन आंदोलन का अहम केंद्र बन गया। यहीं शिलान्यास, शिलापूजन, शिलादान कारसेवा की पृष्ठभूमि तय हुई। बैठकों में गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ, परमहंस रामचंद्र दास, महंत नृत्यगोपाल दास, ओमकार भावे, आचार्य गिरिराज किशोर, ठाकुर दुर्जन सिंह, सर संघचालक राजेंद्र सिंह 'रज्जू भैया', केसी सुदर्शन व मोहन भागवत सहित राममंदिर आंदोलन से जुड़े संत-महात्मा शामिल होते थे। माघ मेले, कुंभ के दौरान धर्मसंसद में भी यह मसला जोर शोर से उठाया जाने लगा। वर्ष 1990 व 1992 में हुई कारसेवा में शामिल होने के लिए अशोक सिंहल महावीर भवन से ही गए थे। यह भवन उन्होंने अरुंधति वशिष्ठ अनुसंधान पीठ और भारत संस्कृत परिषद को दान कर दिया था।

दीपों से सजेगा भवन : दो दशक तक स्व. अशोक सिंहल के निजी सचिव रहे डॉ. चंद्रप्रकाश सिंह कहते हैं कि महावीर भवन में देखा गया सपना साकार होने वाला है तो हम प्रफुल्लित हैं। अशोक सिंहल जी की आत्मा भी प्रसन्न होगी। हम पांच अगस्त को पूरे भवन को दीपों से सजाकर प्रभु श्रीराम का पूजन करेंगे। 

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