टीवी, मोबाइल व कंप्यूटर से इतर स्कूली छात्र जानेंगे लोक कला की बारीकियां

कल के भविष्य यानी स्‍कूली छात्रों को लोक संस्‍कृति से जोड़ने की मुहिम एनसीजेडसीसी ने चलाई है। इसके तहत स्‍कूलों में लोक कला की कार्यशाला का आयोजन जुलाई में किया जाएगा।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 22 Apr 2019 12:09 PM (IST) Updated:Mon, 22 Apr 2019 12:09 PM (IST)
टीवी, मोबाइल व कंप्यूटर से इतर स्कूली छात्र जानेंगे लोक कला की बारीकियां
टीवी, मोबाइल व कंप्यूटर से इतर स्कूली छात्र जानेंगे लोक कला की बारीकियां

प्रयागराज : भारतीय संस्कृति की विविधता लोककला में समाहित है। हर क्षेत्र का अपना नृत्य, अपना गायन है, जिससे उसकी पहचान होती है। हर शुभ मौकों पर यह विशेष नृत्य व गायन होते हैैं। कुछ दशक पहले तक लोग अपनी संस्कृति में रमे रहते थे, लेकिन 21वीं सदी में नई पीढ़ी इससे इतर टीवी, मोबाइल व कंप्यूटर में व्यस्त है। बच्चे व युवा लोक संस्कृति के मर्म से अनभिज्ञ हैं। यह दूरी खत्म करने के लिए उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र स्कूल-कॉलेजों में लोककला पर आधारित कार्यशाला कराएगा। इसमें छात्र-छात्राओं को बिरहा, चैती, धोबिया, ढेढिया नृत्य जैसी कलाओं से जोड़ा जाएगा। जुलाई में इसकी शुरुआत होगी। इसके तहत सप्ताह में एक दिन किसी न किसी विद्यालय में तीन घंटे की कार्यशाला होगी। 

नृत्य-गायन की बताएंगे खासियत

स्कूल-कॉलेजों में लगने वाली कार्यशाला में बच्चों को एक घंटे लोक गायन, नृत्य व वादन से जुड़ी जानकारी दी जाएगी। फिर छात्र-छात्राओं में कला के प्रति आकर्षण बढ़ाने के लिए ख्यातिलब्ध कलाकार दो घंटे प्रस्तुति देंगे। साथ ही विद्यार्थियों को उनकी रुचि के अनुरूप प्रस्तुति देने का मौका भी दिया जाएगा।

दिया जाएगा प्रशिक्षण

स्कूल-कॉलेजों में जो छात्र-छात्रा लोक नृत्य, गायन से जुडऩा चाहेंगे, उत्तर मध्य क्षेत्र उन्हें प्रशिक्षित भी कराएगा। केंद्र में बुलाकर उनकी रुचि के अनुरूप प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। साथ ही प्रस्तुति देने के लिए मंच भी उपलब्ध कराया जाएगा। 

एनसीजेडसीसी के निदेशक ने कहा

उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक इंद्रजीत ग्रोवर कहते हैं कि लोक कला से भावी पीढ़ी का जुड़ाव बढ़े, उसके मद्देनजर स्कूल-कालेजों में कार्यशाला कराने का निर्णय लिया गया है। उम्मीद है कि हमारे इस प्रयास का सार्थक परिणाम निकलेगा और बच्चे लोककला से जुड़ेंगे।

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