माधव परिक्रमा में जुटे संत, श्रद्धालु

तीर्थराज प्रयाग में सालों से ठप द्वादश (बारह) माधव की परिक्रमा की अनौपचारिक शुरुआत हो गई है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 27 May 2018 11:57 AM (IST) Updated:Sun, 27 May 2018 11:57 AM (IST)
माधव परिक्रमा में जुटे संत, श्रद्धालु
माधव परिक्रमा में जुटे संत, श्रद्धालु

इलाहाबाद : तीर्थराज प्रयाग में सालों से ठप द्वादश (बारह) माधव की परिक्रमा की अनौपचारिक शुरुआत हो गई। रविवार की सुबह मंडलायुक्त डॉ. आशीष गोयल, कुंभ मेलाधिकारी विजय किरन आनंद, जिलाधिकारी सुहास एलवाई, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि व महामंत्री महंत हरि गिरि ने मंत्रोच्चार के बीच संगम का पूजन किया। पूजन-अर्चन के बाद संतों, अधिकारियों व श्रद्धालुओं का जत्था बड़े हनुमान मंदिर पहुंचा। वहां दर्शन के उपरांत वेणी माधव, नागवासुकी मंदिर सहित वेणी माधव से जुड़े मंदिरों का दर्शन कर गए। दर्शन के दौरान माधव परिक्रमा मार्ग में हो रही तैयारियों की रिपोर्ट तैयार हुई। मंडलायुक्त ने अधिकारियों को माधव परिक्रमा मार्ग व मंदिरों के जीर्णोद्धार का काम हर हाल में जुलाई माह तक पूरा करने का निर्देश दिया। सारा काम पूर्ण होने पर श्रावण मास में माधव परिक्रमा की विधिवत शुरुआत होगी।

धार्मिक मान्यता है कि परमपिता ब्रह्मा ने द्वादश माधव की स्थापना की। इनकी परिक्रमा की प्राचीन परंपरा है। महर्षि भारद्वाज सहित अनेक ऋषि-मुनि द्वादश माधव की परिक्रमा करते रहे हैं। लेकिन धीरे-धीरे परिक्रमा का दौर समाप्त हो गया। मुगल व अंग्रेजी शासनकाल में द्वादश माधव की मंदिरों को काफी नुकसान पहुंचाया गया, जिससे परिक्रमा की परंपरा रुक गई। देश को आजादी मिलने के बाद संत प्रभुदत्त ब्रह्माचारी ने द्वादश माधव की खोज की। फिर शंकराचार्य निरंजन देवतीर्थ, धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज के साथ 1961 में माघ मास में द्वादश माधव की परिक्रमा आरंभ कराई। संतों व भक्तों ने मिलकर तीन दिन पदयात्रा करते हुए परिक्रमा पूरी की। परिक्रमा 1987 तक चलकर बंद हो गई। फिर तीन साल के अंतराल के बाद 1991 में स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्माचारी ने परिक्रमा कराई, उसके बाद से यह बंद है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि व महामंत्री महंत हरि गिरि का कहना है कि प्रशासन ने द्वादश माधव परिक्रमा मार्ग श्रावण तक पूरा करने का आश्वासन दिया है। यह काम पूरा होते ही श्रावण में बंद पड़ी द्वादश माधव की परिक्रमा पुन: शुरू कराई जाएगी।

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हर तीर्थो का मिलता है पुण्य

स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्माचारी बताते हैं कि सृष्टि रचना को ब्रह्माजी ने यज्ञ के लिए त्रिकोणात्मक वेदी बनाई थी। उसे अंतर्वेदी, मध्य वेदी, बर्हिवेदी के रूप में जाना जाता है। बहिर्वेदी में झूंसी, अंतर्वेदी में अरैल व मध्यवेदी दारागंज का क्षेत्र है। हर क्षेत्र में चार-चार माधव स्थित हैं। मत्स्य पुराण में लिखा है कि द्वादश माधव की परिक्रमा करने वाले को सारे तीर्थो व देवी-देवताओं के दर्शन का पुण्य प्राप्त होता है।

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कहां स्थित हैं कौन से माधव

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-वेणीमाधव : दारागंज स्थित वेणी (त्रिवेणी) तट पर वेणी माधव विद्यमान है। यह प्रयाग के नगर देवता हैं।

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-अक्षयवट माधव : यह गंगा-यमुना के मध्य में विराजमान हैं।

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-अनंत माधव : दारागंज मुहल्ले में अनंत माधव का प्राचीन मंदिर है।

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-असि माधव : शहर के ईशान कोण में स्थित नागवासुकी मंदिर के पास असि माधव वास करते हैं।

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-मनोहर माधव : जानसेनगंज मुहल्ले में मनोहर माधव का वास है। द्रव्येश्वरनाथ महादेव मंदिर में लक्ष्मीयुक्त मनोहर माधव हैं।

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-बिंदु माधव : शहर के वायव्य कोण में द्रौपदी घाट के पास बिंदु माधव का निवास है।

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मध्यवेदी के माधव

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-श्रीआदि माधव : संगम के मध्य जल रूप में आदिमाधव विराजमान हैं।

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-चक्र माधव : प्रयाग के अग्नि कोण में अरैल में स्थित हैं चक्र माधव। भगवान सोमेश्वर के मंदिर में लगा हुआ है इनका पावन स्थल।

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-श्रीगदा माधव : यमुना पार के क्षेत्र स्थित छिवकी रेलवे स्टेशन के पास गदा माधव का प्राचीन मंदिर है।

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-पद्म माधव : यमुनापार के घूरपुर से आगे भीटा मार्ग पर वीकर देवरिया ग्राम में स्थित हैं पद्म माधव।

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बहिर्वेदी के माधव

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-संकटहर माधव : झूंसी में गंगा तट पर स्थित वटवृक्ष में संकटहर माधव का वास है।

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-शंख माधव : झूंसी के छतनाग में मुंशी के बगीचे में प्रसिद्ध है, जिसे शंख माधव की स्थली माना जाता है।

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