Sub Mission on Agriculture Extension Scheme : चंदौली के किसानों को प्रयागराज के कृषि वैज्ञानिकों ने खेती के दिए टिप्‍स

Sub Mission on Agriculture Extension Scheme टिशू कल्चर परियोजना की समन्वयक डा. प्रगति मिश्रा ने बताया कि बीजू तकनीक से विकसित किये गये पौधों में रोगों के प्रति सहनशीलता एवं उत्पादन देने की क्षमता कम होती है ।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 11:47 AM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 11:47 AM (IST)
Sub Mission on Agriculture Extension Scheme : चंदौली के किसानों को प्रयागराज के कृषि वैज्ञानिकों ने खेती के दिए टिप्‍स
प्रयागराज में नैनी स्थित शुआट्स के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को खेती के टिप्‍स दिए।

प्रयागराज, जेएनएान। सैम हिग्गिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज (शुआट्स) में 45 कृषकों का पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम हो रहा है। यह प्रशिक्षण शुआट्स के प्रसार निदेशालय की ओर से हुआ। उप कृषि निदेशक प्रसार, चंदौली की ओर से प्रायोजित सब मिशन आन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन योजना के अंतर्गत जनपद चंदौली के किसानों का चयन किया गया है। किसानों को कृषि क्षेत्र में हुए विभिन्न शोधों से अवगत कराया जा रहा है और नई तकनीक से कृषि करने की स्थलीय जानकारी दी जा रही है। इसे लेकर किसानों में उत्‍साह है। 

कृषकों को विश्वविद्यालय के कृषि अभियंत्रण विभाग का भ्रमण कराया गया। वहां चल रही कृषि संबंधी छोटे व मध्यम यंत्रों के विकास के लिए किए जा रहे अनुसंधान के विषय में जानकारी दी गई। फार्म मशीनरी विभाग के अभियंताओं ने बताया कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कृषकों की जोत का आकार कम होता जा रहा है। इससे बड़े कृषि यंत्रों को क्रय कर पाना एवं उनका प्रयोग छोटी जोत में प्रासंगिक नहीं रह गया है। इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार ने इस विश्वविद्यालय को यह दायित्व दिया है कि छोटी जोत के अनुसार ही छोटे व मध्यम कृषि यंत्रों का विकास किया जाए, जो बैल अथवा किसान द्वारा संचालित किए जा सकें। विकसित किए जा चुके छोटे कृषि यंत्रों का कृषकों को अवलोकन कराया।  

कृषकों को विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग का भ्रमण कराया गया। टिशू कल्चर तकनीक से विकसित किये जा रहे पौधों के बारे में कृषि वैज्ञानिकों ने जानकारी दी। टिशू कल्चर परियोजना की समन्वयक डा. प्रगति मिश्रा ने बताया कि बीजू तकनीक से विकसित किए गए पौधों में रोगों के प्रति सहनशीलता एवं उत्पादन देने की क्षमता कम होती है । टिशू कल्चर तकनीक से विकसित किए गए पौधों में रोगरोधी क्षमता एवं अधिक उत्पादन देने वाले ऊतकों का समावेश प्रयोगशाला के माध्यम से किया जाता है। इससे पौधों में कई रोगों के प्रति सहनशीलता विकसित हो जाती है साथ ही पौधे बीजू पौधों की अपेक्षा लगभग डेढ़ से दो गुना उत्पादन देते हैं ।

उन्होंने प्रशिक्षण समन्वयक डाक्‍टर मदन सेन सिंह के साथ प्रयोगशाला में विकसित किए गए केले के पौधों का अवलोकन कराया एवं डा. मदन सेन सिंह ने बताया कि इन्हीं केले के पौधों को जनपद कौशांबी के कृषकों ने लगाकर अत्यधिक आय अर्जित की है। साथ ही देश व विदेश में जनपद कौशांबी को केला उत्पादन में अग्रणी स्थान प्रदान किया है।

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