जागरण विशेष : प्रयागराज में पूरब वाहिनी हुईं पतितपावनी गंगा नदी, विघ्न विनाशक है पूरब की ओर बहना

Jagran Special पूरब की ओर प्रवाह होने से संगम भले ही दूर हो गया मगर संगम का सरकुलेटिंग एरिया काफी बढ़ गया है। इससे संगम नोज का स्नान घाट बड़ा हो जाएगा।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Mon, 25 Nov 2019 07:20 PM (IST) Updated:Mon, 25 Nov 2019 08:00 PM (IST)
जागरण विशेष : प्रयागराज में पूरब वाहिनी हुईं पतितपावनी गंगा नदी, विघ्न विनाशक है पूरब की ओर बहना
जागरण विशेष : प्रयागराज में पूरब वाहिनी हुईं पतितपावनी गंगा नदी, विघ्न विनाशक है पूरब की ओर बहना

प्रयागराज, जेएनएन। संगमनगरी प्रयागराज में कुंभ के भव्य आयोजन के बाद त्रिवेणी तट पर ज्यादातर पश्चिम वाहिनी रहने वाली पतितपावनी गंगा नदी प्रयागराज में पूरब वाहिनी हुईं पतितपावनी गंगा पूरब वाहिनी हो गई हैं। इसके कारण संगम की दूरी बढ़ गई है। गंगा नदी के रुख बदल लेने से अब संगम तट बड़े हनुमान मंदिर से लगभग दो किमी दूर पहुंच गया है। इस बार माघ मेला के लिए यहां प्रशासन को अतिरिक्त व्यवस्था करनी पड़ रही है।

मान्यता है कि जीवनदायिनी संगम पर अपनी बहन श्यामल यमुना से मिलने के लिए खुद पहुंचती है, जिससे यहां पर उनका रुख पश्चिम वाहिनी हो जाता है। जानकारों के मुताबिक बहुत कम ही ऐसा होता है जब गंगा संगम पर पूरबवाहिनी होती है।

बाढ़ का पानी कम होता है तो गंगा और यमुना का स्वरूप बदल जाता है। इस बार सदानीरा की धारा संगम पर सीधे पूरब की ओर बहने लगी है। ऐसा कम ही होता है, जब गंगा नदी संगम पर पूरब की बहती हों। त्रिवेणी तट पर जीवनदायिनी पश्चिम की ओर होते हुए यमुना को स्पर्श करती हैं और फिर आगे काशी की ओर बढ़ जाती हैं।

बदला प्रवाह काफी शुभ

इस बार के बदले प्रवाह को काफी शुभ माना जा रहा है। ज्योतिर्विद देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी जीवनदायिनी के इस प्रवाह को बेहद उत्तम मानते हैं। कहते हैं कि धर्म व कर्म के क्षेत्र में और प्रगति होने वाला है। समाजिक उत्थान होगा और धार्मिक प्रतिष्ठान बनेंगे। संगम पर महानदी का पूरब की ओर बहाव कल्याणकारी है। यह प्रवाह विघ्न विनाशक है। मेले में कोई विघ्न नहीं आएगा और न ही किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न होगी। किसी प्रकार की कोई विपत्ति आने की आशंका को पतित पावनी ने अपने इस स्वरूप से पहले ही टाल दिया है।

पूरब की दिशा में होता है देवी-देवताओं का वास

आचार्य देवेंद्र का कहना है कि प्रमुख देवी-देवताओं का वास पूरब की दिशा में होता है। गंगा के पूरब वाहिनी होने से स्पष्ट है कि देवी-देवताओं का माघमेला में अवतरण होना है। मेला में सभी देवी-देवता विराजमान होंगे। इसी कारण माना जा रहा है कि आस्था के इस समागम से भारत का अभ्युदय होगा। दुनिया भर में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ेगी। मेले में जीवनदायिनी का प्रभाव पुण्य के रूप में रहेगा। त्रिवेणी में पुण्य की डुबकी लगाने वालों को ज्ञान प्रकाश का लाभ मिलेगा।

संगम का सरकुलेटिंग एरिया बढ़ा

पूरब की ओर प्रवाह होने से संगम भले ही दूर हो गया मगर संगम का सरकुलेटिंग एरिया काफी बढ़ गया है। इससे संगम नोज का स्नान घाट बड़ा हो जाएगा, जिससे माघमेले के प्रमुख स्नान पर्वों पर श्रद्धालुओं को त्रिवेणी में पुण्य की डुबकी लगाने में दिक्कत नहीं होगी। गंगा का यमुना से मिलन झूंसी की ओर छतनाग के पास हो रहा है। यानी ऐतिहासिक किले के पास स्थित संगम नोज से करीब दो किमी आगे संगम पहुंच गया है।

संगम स्नान के लिए लाखों श्रद्धालुओं को अब ज्यादा पदयात्रा करनी पड़ेगी। हालांकि, झूंसी और अरैल की ओर से पहुंचना आसान होगा। गंगा के इस रुख से झूंसी और अरैल क्षेत्र में कल्पवास करने वालों को जरूर राहत मिलेगी। वैसे ज्यादातर लोग इन्हीं क्षेत्रों में कल्पवास करते हैं तथा बहुत से संत-महात्माओं को इन्हीं क्षेत्र में जगह भी दी जा रही है।

वृहद होगा संगम क्षेत्र

सिंचाई विभाग बाढ़ खंड के अधिशासी अभियंता बृजेश कुमार का कहना है कि इससे संगम क्षेत्र वृहद होगा। मेलाधिकारी रजनीश कुमार मिश्र का कहना है कि अब तंबुओं की नगरी की बसावट भी ठीक से हो सकेगी। 

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