रेलवे और जांच टीम मुस्तैद, टेस्ट कराने से बच रहे यात्री

कोरोना से लगातार हालात बिगड़ रहे हैं। सरकार पाबंदियां भी बढ़ा रही है। ऐसे में लोगों के लौटने का सिलसिला भी तेज हो रहा है। महाराष्ट्र की ओर से गाड़ियां फुल होकर आ रही हैं। लेकिन यात्री कोविड टेस्ट कराने से बच रहे हैं। यह लापरवाही भारी पड़ सकती है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 06:58 PM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 06:58 PM (IST)
रेलवे और जांच टीम मुस्तैद, टेस्ट कराने से बच रहे यात्री
रेलवे और जांच टीम मुस्तैद, टेस्ट कराने से बच रहे यात्री

जागरण संवाददाता, प्रयागराज : कोरोना से लगातार हालात बिगड़ रहे हैं। सरकार पाबंदियां भी बढ़ा रही है। ऐसे में लोगों के लौटने का सिलसिला भी तेज हो रहा है। महाराष्ट्र की ओर से गाड़ियां फुल होकर आ रही हैं। लेकिन, यात्री कोविड टेस्ट कराने से बच रहे हैं। यह लापरवाही भारी पड़ सकती है।

दरअसल, महाराष्ट्र में कोरोना की चेन तोड़ने के लिए राज्य सरकार ने पाबंदियां बढ़ाई है। लोगों को डर है कि पिछली बार की तरह लॉकडाउन न लग जाए। ट्रेनों में दबाव बढ़ने पर रेलवे ने कई स्पेशल गाड़ियां भी चलाई हैं। ताकि कोविड नियमों का पालन किया जा सके। 01071 एलटीटी-वाराणसी कामायनी एक्सप्रेस बुधवार शाम करीब 04:25 बजे प्रयागराज जंक्शन पहुंची। पुल नंबर दो पर दो सदस्यीय जांच टीम और आरपीएफ समेत रेलवे के अधिकारी व कर्मचारी मुस्तैद थे। फिर भी जांच कराने से यात्री बच रहे थे। आरपीएफ ने जांच के लिए यात्रियों को कतार में खड़ा कराया। लेकिन, मौका मिलते ही लोग निकलने की कोशिश कर रहे थे। जांच टीम के सदस्य ने बताया कि कामायनी एक्सप्रेस के करीब 100 यात्रियों का टेस्ट किया जा सका। करीब 90 फीसद यात्री बगैर जांच कराए चले गए। इसके अलावा 05017 एलटीटी-गोरखपुर काशी एक्सप्रेस, 01055 एलटीटी-गोरखपुर गोदान और 01061 एलटीटी-जयनगर पवन एक्सप्रेस भी फुल होकर प्रयागराज जंक्शन पहुंची।

पुल के नीचे निकलने की कोशिश

जांच कराने से बचने के लिए लोग बाउंड्रीवाल और पुल के नीचे से सामान के साथ निकलने का प्रयास किया। इनमें कई यात्री निकलने में सफल भी रहे। हालांकि बाद आरपीएफ के जवानों की नजर पड़ी तो उन्होंने रोका और सभी को पुल से निकलने को कहा। ऑटो-टैक्सी वाले कर रहे मनमानी

सवारी बैठाने के लिए ऑटो व टैक्सी चालक मनमानी कर रहे हैं। क्षमता से अधिक यात्री बैठाया जा रहा है। इससे कोविड प्रोटोकाल तो दूर फिजिकल डिस्टेंसिंग का भी पालन नहीं किया जा रहा है।

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