प्रदेश के कैबिनेट मंत्री नंदी बोले-पहले जमीन भी लेते थे और मुकदमा भी करते थे, अब मिल रहा संरक्षण

मंत्री नंदी बोले कि किसी भी किसान की जमीन को जबरन नहीं लिया जा रहा है। न उनके ऊपर मुकदमे लादे जा रहे हैं। जहां जरूरत के अनुसार जमीन ली जाती है वहां पूरा मुआवजा दिया जा रहा है। किसी भी किसान पर मुकदमा नहीं दर्ज कराया जा रहा है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 04 Jan 2021 11:54 AM (IST) Updated:Mon, 04 Jan 2021 11:54 AM (IST)
प्रदेश के कैबिनेट मंत्री नंदी बोले-पहले जमीन भी लेते थे और मुकदमा भी करते थे, अब मिल रहा संरक्षण
प्रदेश के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्त नंदी ने पिछली सरकारों के कार्यकाल को उचित नहीं ठहराया।

प्रयागराज, जेएनएन। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्त नंदी ने कहा कि किसान तब खुशहाल होगा जब उसे खाद, पानी, बिजली के साथ अपनी उपज का सही दाम समय पर मिले। कोई भी किसान बहुत परिश्रम और मेहनत से अपने खेतों में फसल उगाता है। पिछले 70 सालों से देश में विकास के नाम पर कांग्रेस, सपा और बसपा की सरकारों ने किसानों की जमीनों का जबरन अधिग्रहण किया। 

बोले मंत्री-किसी भी किसान पर मुकदमा नहीं दर्ज कराया जा रहा

प्रयागराज में कैबिनेट मंत्री नंदी ने कहा कि किसानों के विरोध करने पर उनके ऊपर मुकदमे भी लादे गए। प्रयाग प्रवास के दौरान उन्होंने कहा कि पूववर्ति सरकारों ने किसानों की जमीन तो ले ली। कुछ जगहों पर नहर, सड़क, बड़ी बड़ी इमारतें, उद्योग आदि बने। बहुत से स्थानों पर अब भी जमीन खाली पड़ी है। इन जमीनों पर कंपनियों ने अपना कब्जा कर लिया है और किसानों पर मुकदमें भी लाद दिए गए हैं। तब न तो कोई स्वंयेसेवी संगठन सामने आए न कोई और दल। अब हालात बदल चुके हैं। मंत्री नंदी बोले कि किसी भी किसान की जमीन को जबरन नहीं लिया जा रहा है। न उनके ऊपर मुकदमे लादे जा रहे हैं। जहां जरूरत के अनुसार जमीन ली जाती है वहां पूरा मुआवजा दिया जा रहा है। किसी भी किसान पर मुकदमा नहीं दर्ज कराया जा रहा है। 

नंदी ने कहा कि कई उद्योग बंद हो चुके हैं

कैबिनेट मंत्री नंदी ने कहा कि पूर्व में तमाम जगहों पर किसानों की जमीन ले ली गई। उस पर उद्योग भी लगे लेकिन अब यह धूल फांक रहे हैं। उद्योगों को पुनर्जीवित करने का कोई प्लान नहीं तैयार किया गया। वर्तमान सरकार अब इन चीजों पर काम कर रही है। विपक्ष राजनीति कर रहा है। किसानों के हित पर भी नकारात्मक रवैया विपक्ष की नकारात्मक सोंच को जाहिर करने के लिए पर्याप्त है।

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