पंचतत्व में विलीन हुए प्रयागराज के साहित्यकार कैलाशनाथ, देश-विदेश में बढ़ाया था हिंदी साहित्य का मान

प्रेरणादायी लेखन के जरिए समाज को जागृत करने वाले साहित्यकार कैलाशनाथ पांडेय (74) दुनिया में नहीं रहे। वे काफी समय से बीमार थे। इलाज के दौरान रविवार की रात पीजीआइ में उनका निधन हो गया। सोमवार को प्रयागराज के दारागंज श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार हुआ।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Mon, 04 Jan 2021 05:45 PM (IST) Updated:Mon, 04 Jan 2021 05:45 PM (IST)
पंचतत्व में विलीन हुए प्रयागराज के साहित्यकार कैलाशनाथ, देश-विदेश में बढ़ाया था हिंदी साहित्य का मान
प्रेरणादायी लेखन के जरिए समाज को जागृत करने वाले साहित्यकार कैलाशनाथ पांडेय (74) दुनिया में नहीं रहे।

प्रयागराज, जेएनएन। प्रेरणादायी लेखन के जरिए समाज को जागृत करने वाले साहित्यकार कैलाशनाथ पांडेय (74) दुनिया में नहीं रहे। वे काफी समय से बीमार थे। इलाज के दौरान रविवार की रात पीजीआइ में उनका निधन हो गया। सोमवार को प्रयागराज के दारागंज श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार हुआ। पार्थिव शरीर को उनके पुत्र आदर्श पांडेय ने मुखाग्नि दी। स्व. कैलाशनाथ का अंतिम दर्शन करने के लिए उनके बाघंबरी गद्दी के पास स्थित निवास में समाज के विभिन्न वर्ग के लोग पहुंचे। शाम तक शुभचिंतकों और करीबियोंं के पहुंचनेे का सिलसिला जारी था।

कई देशों में बढ़ाई थी हिंदी की प्रतिष्ठा   

भाषाविद्-समीक्षक आचार्य पं. पृथ्वीनाथ पांडेय ने कैलाशनाथ के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। बताया कि उनके निधन से प्रयागराज के साहित्यजगत को अपूरणीय क्षति हुई है। कविता, कहानी, निबंध आदि विषयों पर गंभीर पकड़ रखने वाले कैलाशनाथ अत्यंत मिलनसार, मृदुभाषी व व्यावहारिक व्यक्ति थे। उन्होंने मारीशस, सूरीनाम, रूस आदि देशों में हिंदी की प्रतिष्ठा बढ़ाई थीी। बैंक सेवा से अवकाश-ग्रहण करने के पश्चात पूरी तरह से साहित्य के प्रति समॢपत हो गये थे। उन्होंने कई मौलिक पुस्तकों की रचना की थी, उनकी काव्य-संग्रह 'यथार्थ की पंखुडिय़ां, 'मनीषा तथा 'प्रतिध्वनि अति चर्चित रहीं। कैलाशनाथ ने विदेशों में रामकथा का प्रचार-प्रसार करने में महत्वपूर्ण योगदान किया था।

निधन पर जताया शोक

साहित्यकार कैलाशनाथ पांडेय की स्मृति में सर्जनपीठ और साहित्यांजलि प्रज्योदि के संयुक्त तत्वावधान में शोकसभा हुई। इसमें डॉ. रामनरेश त्रिपाठी, तलब जौनपुरी, मुकुल मतवाला, शिवराम गुप्ता, शिवमूर्ति सिंह, डॉ. रवि मिश्र, डॉ. प्रदीप चित्रांशी, ज्योति चित्रांशी, डॉ. पूर्णिमा मालवीय तथा आचार्य पं. पृथ्वीनाथ पांडेय ने स्मृति-शेष कैलाशनाथ की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना किया।

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