प्रयागराज में कोरोना के खात्‍मे को महामृत्युंजय जप व हनुमान चालीसा का पाठ, कनाडा व डेनमार्क से भी लोग कर रहे शिरकत

आयोजक गार्गी बताती हैं कि इसकी शुरुआत कोरोना काल में फैली नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने के उद्देश्य से की। हर तरफ लोग परेशान और डरे सहमे हैं। उनके मनोभाव को स्वस्थ बनाने व आत्म विश्वास जगाने के लिए अध्यात्म की राह पकड़ी गई है।

By Rajneesh MishraEdited By: Publish:Wed, 19 May 2021 06:40 PM (IST) Updated:Wed, 19 May 2021 06:40 PM (IST)
प्रयागराज में कोरोना के खात्‍मे को महामृत्युंजय जप व हनुमान चालीसा का पाठ, कनाडा व डेनमार्क से भी लोग कर रहे शिरकत
हीलिंग टच के लिए सभी सामूहिक प्रार्थना करते हैं।

प्रयागराज,जेएनएन। संगमनगरी में कोरोना संक्रमण के खात्मे के लिए सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामया भाव के साथ ऑनलाइन हनुमान चालीसा और महामृत्युंजय जप भी किया जा रहा है। यह आयोजन विद्यावती दरबारी इंटर कॉलेज की शिक्षिका गार्गी श्रीवास्तव की पहल पर प्रत्येक शनिवार और रविवार को शाम पांच बजे होता है। इसमें गूगल मीट के जरिए लोग जुड़ते हैं। अब तक करीब 150 लोग इस अभियान का हिस्सा बन चुके हैं। खास बात यह कि कनाडा और डेनमार्क के लोग भी सहभागिता कर रहे हैं। हीलिंग टच के लिए सभी सामूहिक प्रार्थना करते हैं।

आयोजक गार्गी बताती हैं कि इसकी शुरुआत कोरोना काल में फैली नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने के उद्देश्य से की। हर तरफ लोग परेशान और डरे सहमे हैं। उनके मनोभाव को स्वस्थ बनाने व आत्म विश्वास जगाने के लिए अध्यात्म की राह पकड़ी गई है। इससे मनोविकारों को समाप्त करने में भी मदद मिल रही है। जो लोग कोराना संक्रमित हैं और घर में आइसोलेट हैं, जो स्वस्थ हो चुके हैं उनके साथ ही अन्य सामान्य लोग भी इस हीलिंग का लाभ ले रहे हैं। वे निजी तौर पर स्वस्थ होने की कामना तो करते ही हैं पूरी दुनिया से कोरोना के खात्मे के लिए भी प्रार्थना करते हैं। इस बीच सभी एक दूसरे का हाल जानने के साथ ही माहौल को खुशनुमा बनाने के लिए सकारात्मक विषयों पर भी अपनी राय रखते हैं।

108 बार होता है महामृत्युंजय जाप

करीब दो घंटे तक चलने वाले इस आयोजन में 108 बार महा मृत्युंजय का जाप होता है। 11 बार हनुमान चालीसा का भी पाठ किया जाता है। शनिवार और रविवार को यह प्रक्रिया पूरी की जाती है।

आयोजन से मिलता है आत्मबल और जीवन के प्रति

प्रत्येक सप्ताह आयोजन से जुडऩे वाली पुनीता श्रीवास्तव कहती हैं कि इस अभिनव प्रयोग से सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो रहा है। मंदिर न जा पाने व धार्मिक आयोजन न होने की भरपाई हो जा रही है। सुधांशु श्रीवास्तव का कहना है कि इस गतिविधि से खत्म होता है और सामूहिकता आ एहसास होता है। कोलकाता से जुडऩे वाले जीके श्रीवास्तव के अनुसार संक्रमण से बाहर आने में यह आयोजन बहुत मददगार साबित हुआ। आगरा की अनीता ने भी माना कि कोरोना से मुक्ति के बाद दोबारा जीवन शुरू करने की प्रेरणा मिली।

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