अब बारिश हुई तो नष्ट हो सकती है सरसों, मटर और आलू की फसल, चिंतित हैं किसान

पिछले दिनों बारिश से सरसों आलू मटर चना की हजारों हेक्टेयर फसल प्रभावित हो गई थी। जिस तरह से मौसम बदला है उससे बारिश के साथ ओला गिरने के आसार बढ़ गए हैं। इसी तरह से मौसम रहेगा तो सरसों में माहू कीट का खतरा तेजी से बढ़ जाएगा

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Sat, 22 Jan 2022 03:48 PM (IST) Updated:Sat, 22 Jan 2022 03:48 PM (IST)
अब बारिश हुई तो नष्ट हो सकती है सरसों, मटर और आलू की फसल, चिंतित हैं किसान
शुक्रवार शाम से बदले मौसम ने किसानोें को एक बार फिर परेशानी में डाल दिया है।

प्रयागराज, जेएनएन। लगातार बदलते मौसम से किसानों की नींद उड़ गई है। 10 दिन पहले लगातार बारिश से आलू सरसों और मटर की फसल प्रभावित हो गई थी।

बारिश जब चार दिनोें बाद थमी थी तो किसानों ने बची फसल को बेहतर करने का प्रयास शुरू दिया। लेकिन शुक्रवार शाम से बदले मौसम ने किसानोें को एक बार फिर परेशानी में डाल दिया है। किसानों को अब इस बात कर डर सताने लगा है कि अगर अब बारिश हुई तो आलू, सरसों, मटर और चना की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगी। लगातार दो दिनों तक अगर बारिश हो जाएगी तो गेहूं की फसल भी प्रभावित होगी।

पहले भी आलू, मटर, चना की फसल हो चुकी प्रभावित

पिछले दिनों बारिश से सरसों, आलू, मटर, चना की हजारों हेक्टेयर फसल प्रभावित हो गई थी। जिला कृषि रक्षा अधिकारी इंद्रजीत यादव ने बताया कि जिस तरह से मौसम बदला है उससे बारिश के साथ ओला गिरने के आसार बढ़ गए हैं। इसी तरह से मौसम रहेगा तो सरसों में माहू कीट का खतरा तेजी से बढ़ जाएगा वहीं जो आलू की फसल बची हुई है वह भी झुलसा रोग की चपेट में आ जाएगी। जिले में इस आलू की खेती 23 हजार हेक्टेयर से अधिक में की गई है। वहीं सरसों की खेती 4800 एकड़ में की गई है।

मटर की खेती 800 हेक्टेयर और चना की खेती लगभग 1500 हेक्टेयर में खेती की गई है। सबसे अधिक आलू की खेती गंगापार में की गई है वहीं चना की खेती यमुनापार में बड़े पैमाने पर खेती हुई है। बारिश किसानों को दो तरफा मार दे रही है। एक तो खेतों में फसल खराब होने का खतरा है तो दूसरी ओर बारिश से क्रय केंद्रों के बाहर रखा धान भीगने का डर है। ऐसे में किसानों की मुश्किल कम होती नहीं बल्कि बढ़ती जा रही है।

chat bot
आपका साथी