रिटर्न दाखिल करने के बाद भी व्यापारियों को मिल रही नोटिस Prayagraj News

रिटर्न दाखिल करने बाद भी व्‍यापारियों ऑनलाइन नोटिस भेजी जा रही है। जवाब दाखिल करने के लिए उन्हें चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) के अलावा अफसरों के चक्कर लगाने पड रहे हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 29 Sep 2019 03:57 PM (IST) Updated:Sun, 29 Sep 2019 03:57 PM (IST)
रिटर्न दाखिल करने के बाद भी व्यापारियों को मिल रही नोटिस Prayagraj News
रिटर्न दाखिल करने के बाद भी व्यापारियों को मिल रही नोटिस Prayagraj News

प्रयागराज,  जेएनएन। वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के कई प्रावधान बेहद जटिल होने से व्यापारियों की मुश्किलें पहले से बढ़ी हैं, वाणिज्य कर विभाग के अफसर भी अपनी कार्यशैली से उनका सिरदर्द बढ़ा देते हैं। वह भी गैरवाजिब मामलों में। कई कारोबारियों की शिकायत है कि रिटर्न दाखिल करने बाद भी उन्हें ऑनलाइन नोटिस भेजा जा रहा है। नोटिस का जवाब दाखिल करने के लिए उन्हें अपने अधिवक्ता, चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) के अलावा अफसरों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।

टैक्स पर व्याज भी देना पड़ता है व्यापारियों को

कारोबारियों को हर महीने की 20 तारीख तक रिटर्न दाखिल करने के लिए जीएसटी फार्म 3 (बी) भरना पड़ता है। इसमें उन्हें उस महीने में माल की कुल बिक्री पर लिए गए टैक्स और कुल खरीद पर दिए गए टैक्स का ब्योरा दर्ज करना होता है। तय तिथि के अंदर रिटर्न दाखिल न करने पर व्यापारियों को विलंब शुल्क के अलावा टैक्स पर भी ब्याज देना पड़ता है। यदि व्यापारी लगातार तीन महीने तक अपना रिटर्न दाखिल नहीं करते हैैं तो वाणिज्यकर विभाग के संबंधित खंड के अफसर उन्हें नोटिस भेजकर जवाब-तलब कर सकते हैं।

व्यापारियों का उत्पीडऩ करने  के मकसद से नोटिस भेजा जा रहा: महेंद्र गोयल

खुल्दाबाद निवासी कारोबारी आशुतोष अग्रवाल, जीरो रोड निवासी व्यापारी मनीष शुक्ल का कहना है कि उन्हें रिटर्न दाखिल किए जाने के बाद भी नोटिस भेज दिया गया। कुछ व्यापारियों ने नोटिस का जवाब दे भी दिया है। कैट के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र गोयल का आरोप है कि अफसर व्यापारियों का उत्पीडऩ करने के मकसद से नोटिस भेज रहे हैं। उन्हें छानबीन करके ही नोटिस भेजना चाहिए।

वाणिज्य कर विभाग के एडिशनल कमिश्नर बोले

उधर वाणिज्य कर विभाग के एडिशनल कमिश्नर (ग्रेड-वन) एके राय का कहना है कि ऑनलाइन व्यवस्था में नोटिस स्वत: (आटो जनरेटेड) जारी होता है। अगर एक हजार नोटिस जारी होता है तो सौ मामले में ही कार्रवाई होती है। जवाब देने पर नोटिस स्वत: ड्राप हो जाता है। अधिकारी के कार्रवाई करने के एक महीने के अंदर जवाब देने पर आदेश भी निरस्त हो जाता है। जिन व्यापारियों ने ई-मेल और मोबाइल नंबर अपडेट नहीं कराया है, वह करा लें, क्योंकि इसकी वजह से भी नोटिस जारी हो जा रहा है।

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