Mahatma Gandhi Death Anniversary : आजादी की जंग के दौरान छह बार प्रयागराज आए थे गांधी जी, तैयार हुआ था भारत छोड़ो आंदोलन का मसौदा

जानकारों के मुताबिक आनंद भवन में होने वाली कांग्रेस पार्टी की बैठकों व व्यक्तिगत कार्यक्रमों में शामिल होने के सिलसिले में गांधी छह बार इलाहाबाद (अब प्रयागराज) आए थे। गांधी जी अंतिम बार साल 1942 में प्रयागराज आए थे। वह आनंद भवन में ठहरे थे।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Sat, 30 Jan 2021 06:00 AM (IST) Updated:Sat, 30 Jan 2021 06:00 AM (IST)
Mahatma Gandhi Death Anniversary : आजादी की जंग के दौरान छह बार प्रयागराज आए थे गांधी जी, तैयार हुआ था भारत छोड़ो आंदोलन का मसौदा
30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्य तिथि है। उनका तीर्थराज से गहरा नाता रहा है।

प्रयागराज, जेएनएन। तीर्थराज प्रयाग जितना अपने धार्मिक, ऐतिहासिक और साहित्यिक अवदान के लिए जाना जाता है उतना ही योगदान देश के स्वतंत्रता आंदोलन में भी रहा है। 30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्य तिथि है। उनका तीर्थराज से गहरा नाता रहा है। जानकारों के मुताबिक आनंद भवन में होने वाली कांग्रेस पार्टी की बैठकों व व्यक्तिगत कार्यक्रमों में शामिल होने के सिलसिले में गांधी छह बार इलाहाबाद (अब प्रयागराज) आए थे। गांधी जी अंतिम बार साल 1942 में प्रयागराज आए थे। वह आनंद भवन में ठहरे थे।

पांच बार आनंद भवन और एक दफे होटल में ठहरे थे गांधी जी

वयोवृद्ध कांग्रेसी और करीब 40 वर्षों तक आनंद भवन के मुख्य केयरटेकर रहे मुंशी कन्हैयालाल मिश्र के दामाद श्यामकृष्ण पांडेय बताते हैं कि गांधी जी छह बार इलाहाबाद (प्रयागराज)  आए थे जिसमें पांच बार आनंद भवन और एक बार किसी होटल में ठहरे थे। गांधी जी दो बार कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में शामिल होने तथा चार बार व्यक्तिगत कारणों से प्रयागराज आए थे। वे पंडित जवाहरलाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित व पुत्री इंदिरा गांधी के विवाह समारोह के अलावा कमला नेहरू अस्पताल का उद्घाटन करने भी प्रयागराज आए थे। देश की आजादी के आंदोलन के पूर्व भी एक बार गांधी जी प्रयागराज आए थे, तब वे जानसेनगंज में किसी होटल में ठहरे थे।

आनंद भवन में बना था भारत छोड़ो आंदोलन का मसौदा

कांग्रेस की कार्य समिति की बैठक में शामिल होने गांधी जी अंतिम बार  1942 के जून महीने में प्रयागराज आए थे। इसी बैठक में 'अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन का मसौदा तैयार किया गया था जिस पर चर्चा भी हुई थी। इसके बाद जुलाई में वर्धा की बैठक में मुहर लगी थी। मुंबई में आठ अगस्त 1942 को कांग्रेस की बैठक में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के गांधी जी के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया जिसके बाद नौ अगस्त को पूरे देश में भारत छोड़ो आंदोलन आरंभ हुआ।

आनंद भवन के पोर्टिको से किया था लोगों को संबोधित

महात्मा गांधी को प्यार से लोग बापू भी कहते थे। जून 1942 में जब बापू अंतिम बार प्रयागराज आए थे तो उनके आने की खबर पाकर मिलने वालों की भीड़ आंनद भवन पर जुट गई। इसकी जानकारी जब गांधी जी को हुई तो वह आनंद भवन के सामने बने पोर्टिको में पहुंचे और वहीं से लोगों को संबोधित करने के साथ ही अभिवादन स्वीकार किया था।

कांग्रेस की गतिविधियों के चलते जब्त हो गया था स्वराज भवन

श्यामकृष्ण पांडेय के मुताबिक सन 1930 में नेहरू परिवार स्वराज भवन से आनंद भवन में रहने आ गया था। इसके बाद स्वराज भवन कांग्रेस का कार्यालय बन गया था, जहां से देशभर में कांग्रेस की गतिविधियां संचालित की जा रही थीं। जब 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ तो ब्रिटिश सरकार ने स्वराज भवन को जब्त कर लिया। 1947 में देश को आजादी मिलने तक यह भवन अंग्रेजों के ही कब्जे में रहा। इसके चलते तब आनंद भवन कांग्रेस का मुख्यालय रहा, जहां पर कांग्रेस की तमाम अहम बैठकें और निर्णय हुए थे।

आनंद भवन में आज भी संरक्षित हैं गांधी जी से जुड़ी यादें

गांधी जी के लिए आनंद भवन में एक अलग कमरा था। जब भी वे प्रयागराज आते थे उसी कमरे में ठहरते थे। आनंद भवन के उस कमरे में आज भी गांधी जी की यादें उनके चित्रों व उनके द्वारा इस्तेमाल की गई वस्तुओं के रूप में संरक्षित हैं। उक्त कमरे में उनका पलंग, कुर्सी, मेज, कपड़े, पूजा के बर्तन, सूत और चरखा सुरक्षित रखा हुआ है। तीन बंदरों की मूर्तियां भी कमरे में मौजूद हैं। जिनको देखकर यहां आने वाले पर्यटक अपने जीवन में गांधी दर्शन आत्मसात करने का संकल्प लेते हैं।

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