पाश्चात्य संस्कृति देती है अशांति : आनंद

जासं, इलाहाबाद : आत्मशुद्धि, मन की शांति, आंतरिक ऊर्जा प्राप्ति को दुनिया स्वयं को सनातन संस्कृ

By JagranEdited By: Publish:Mon, 15 Jan 2018 07:07 PM (IST) Updated:Mon, 15 Jan 2018 07:07 PM (IST)
पाश्चात्य संस्कृति देती है अशांति : आनंद
पाश्चात्य संस्कृति देती है अशांति : आनंद

जासं, इलाहाबाद : आत्मशुद्धि, मन की शांति, आंतरिक ऊर्जा प्राप्ति को दुनिया स्वयं को सनातन संस्कृति से जुड़ने को आतुर है। मुस्लिम देशों में मंत्रोच्चार के बीच यज्ञ हो रहे हैं, वहीं हमारे देश के युवा पाश्चात्य संस्कृति की ओर भाग रहे हैं। पाश्चात्य संस्कृति अपनाने पर पारिवारिक विघटन, अनाचार, अशांति के सिवाय कुछ हासिल नहीं होगा। योगगुरु स्वामी आनंद गिरि ने उक्त विचार व्यक्त किए। गंगा सेना शिविर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन सोमवार को उन्होने कहाकि धर्म से जुड़कर ही मानव का कायाकल्प संभव है, अन्यथा भटकाव के सिवाय कुछ हासिल नहीं होगा। बताया कि युवाओं को श्रीराम, श्रीकृष्ण, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, सरदार भगत सिंह, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, दीनदयाल उपाध्याय जैसे महापुरुषों के जीवन चरित्र को आत्मसात करना चाहिए।

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