किसान ध्‍यान दें, खेतों में रासायनिक नहीं बल्कि जैविक खाद डालें, तभी बची रहेगी मिट्टी की सेहत Prayagraj News

चार माह पहले जिले से लिए गए करीब 40 हजार मृदा नमूनों की जांच रिपोर्ट में खेतों की मिट्टी में जीवांश कार्बन की भारी कमी पाई गई है। मिट्टी से कई जरूरी पोषक तत्व गायब हो गए हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 29 Jun 2020 07:12 PM (IST) Updated:Tue, 30 Jun 2020 08:12 AM (IST)
किसान ध्‍यान दें, खेतों में रासायनिक नहीं बल्कि जैविक खाद डालें, तभी बची रहेगी मिट्टी की सेहत Prayagraj News
किसान ध्‍यान दें, खेतों में रासायनिक नहीं बल्कि जैविक खाद डालें, तभी बची रहेगी मिट्टी की सेहत Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। फसलों का उत्पादन बढ़ाने के चक्कर में किसान रसायनिक उवर्रकों का प्रयोग अधिक कर रहे है। यह खेतों की मिट्टी के लिए हानिकारक साबित हो रही है। मिट्टी से जीवांश कार्बन गायब हो रहे हैं, यह बात मृदा परीक्षण की जांच रिपोर्ट में सामने आई। कृषि वैज्ञानिक इसको लेकर चिंतित हैं और किसानों को फसल उत्पादन में जैविक खाद का प्रयोग करने की सलाह दी जा रही है। 

40 हजार मृदा नमूनों की हुई जांच

खरीफ की फसलों के लिए चार माह पहले जिले से लिए गए करीब 40 हजार मृदा नमूनों की जांच की गई। जांच रिपोर्ट में खेतों की मिट्टी में जीवांश कार्बन की भारी कमी पाई गई है। कई जरूरी पोषक तत्व भी मानक से बेहद कम स्‍तर पर मिले। मृदा वैज्ञानिक डॉ. मनोज सिंह ने बताया कि 90 फीसद मिट्टी में जीवांश कार्बन एकदम निचले स्तर पर पहुंच गया है। खेतों की मिट्टी का जीवांश कार्बन करीब 0.37 होना चाहिए, लेकिन यहां इसका स्तर 0.2 फीसद पर है। ज्यादातर खेतों में नाइट्रोजन और सल्फर आयरन की भी मात्रा न के बराबर पाई गई है। मिट्टी में फास्फोरस, पोटाश और जिंक भी मानक के अनुसार नहीं है।

किसानों को किया जा रहा है जागरूक

बिगड़ रही सेहत को लेकर कृषि विभाग के कर्मचारी व कृषि वैज्ञानिक मिट्टी की उर्वरक क्षमता सुधारने के लिए किसानों को जागरूक कर रहे हैं। डा. मनोज सिंह का कहना है कि हरी फसलों के अवशेष खेत में पानी भर कर जोताई कर दे। गोबर की खाद के साथ ही कृषि मित्र जीव मसलन केचुवा की मिट्टी में मात्रा बढ़ाने से जीवांश कार्बन का स्तर सामान्य हो सकेगा। साथ ही जैव उर्वरक का भी इस्तेमाल करने की आवश्यकता है।

chat bot
आपका साथी