International Family Day 2020 : ये है 96 सदस्यों का कुनबा, आज तक नहीं बंटा एक भी रकबा
International Family Day 2020 उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर टोंस नदी के किनारे बसे डिहार गांव के विश्वनाथ पांडेय के परिवार की चार पीढ़ियां एक साथ रहती हैं।
प्रयागराज [ज्ञानेन्द्र सिंह]। International Family Day 2020 : शुक्रवार को विश्व परिवार दिवस है तो बात एक ऐसे परिवार की, जिसके 96 सदस्य एक साथ रहते हैं। एक किचन में नाश्ता-खाना बनता है। संस्कार के तो कहने ही क्या। घर के मुखिया 92 वर्षीय विश्वनाथ के प्रति ऐसा आदर कि उनकी बात की कोई अवहेलना नहीं करता।
कोरोना वायरस के चलते लगे लॉकडाउन ने परिवार में संस्कार की थाती को और प्रगाढ़ कर दिया है। स्कूल-कालेज बंद होने से किसी का कहीं आना जाना नहीं है। पूरा परिवार दिन भर हंसी-खुशी साथ रह रहा है। यह अच्छे संस्कार की एक बानगी ही है कि अगर घर के छोटे बच्चे अनजाने में भी अवज्ञा करते हैं तो वहीं से उनमें संस्कार गढ़ने की पाठशाला घर का कोई भी सदस्य शुरू कर देता है।
चार पीढ़ी रहती एक साथ
यह परिवार है उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर टोंस नदी के किनारे बसे डिहार गांव के विश्वनाथ पांडेय (92) का। परिवार में चार पीढ़ी एक साथ रहती है। इनके 12 बेटे और छह बेटियां हैं। बेटियों की शादी हो चुकी है। परिवार में नौ शिक्षक व दो शिक्षिकाएं हैं। बड़े बेटे चंद्रशेखर प्रधानाचार्य हैं। परिवार में 24 पौत्र, 15 पौत्रियां तथा 13 प्रपौत्र और तीन प्रपौत्रियां हैं। कुल 67 मतदाता हैं।
किचन में हैं ऐसे बर्तन
चाय बनाने के लिए 30 लीटर का भगोना, दाल-चावल के लिए 15-15 लीटर के छह कुकर हैं, एक बार में तीन से चार कुकर प्रयुक्त होते हैं।, सब्जी के लिए 50-50 किलो क्षमता के दो भगोने हैं। महीने में 8-10 सिलेंडर की खपत है।
खाना बनाने की लगती ड्यूटी
तीन-तीन महिलाओं की हर दिन भोजन पकाने की ड्यूटी होती है। झाड़ू-पोछा के लिए युवक व युवतियों की जिम्मेदारी अलग-अलग दिन दी गई है। कोई बड़ा आयोजन होता है तो घर भर मिलकर आसानी से पूरा कर लेते हैैं।
परिवार के 20 लोग पहुंच गए खून देने
पिछले दिनों परिवार के एक सदस्य की तबीयत खराब हुई तो डॉक्टर ने बताया कि खून की जरूरत पड़ेगी। डॉक्टर का कहना ही था कि परिवार के बीस लोग खड़े हो गए खून देने के लिए। वहां स्टाफ देखता ही रह गया।
खेती के लिए छह ट्रैक्टर, दो पंपिंग सेट
लगभग दो सौ बीघे के काश्तकार हैं विश्वनाथ पांडेय, मगर एक भी रकबा अब तक नहीं बंटा है। घर के पुरुष सदस्य खेती कर लेते हैं। दलहनी-तिलहनी और बासमती धान की खेती प्रमुख है। खेती के लिए छह ट्रैक्टर, तीन नलकूप, दो पंपिंग सेट हैं।
यह हैं घर के मुखिया विश्वनाथ
92 बरस के हो चुके विश्वनाथ पाण्डेय मुख्यत: खेती करते थे। खाली समय में वह औषधीय दवा भी देते थे। दो इंटर कॉलेज व एक डिग्री कॉलेज की स्थापना कराई। इनके चौथे पुत्र संतोष पांडेय के बेटे शिक्षक अशोक कुमार पांडेय ने बताया कि सभी सदस्य गांव में ही रहते हैं। खेती व कॉलेज पर परिवार को फोकस रहता है।