बंदरों की भूख मिटाने के लिए प्रतापगढ़ के चंद्रिकन जंगल में रोपे जाएंगे अमरूद और संतरा के पौधे

मां चंडिका देवी धाम के घने जंगल में अमरूद के पौधे रोपे जाएंगे। इस तरह से जंगल में रह रहे हजारों बंदरों की भूख अमरूद के फल से मिटेगी। वन विभाग इसकी तैयारी में जुट गया है। जंगल में जंगली बबूल को काट कर वहां अमरूद की बागवानी होगी।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Thu, 14 Jan 2021 02:00 PM (IST) Updated:Thu, 14 Jan 2021 02:00 PM (IST)
बंदरों की भूख मिटाने के लिए प्रतापगढ़ के चंद्रिकन जंगल में रोपे जाएंगे अमरूद और संतरा के पौधे
जंगल में सियार, स्याही, मोर,अजगर के साथ जंगली जानवर व बंदर रहते हैं। सबसे अधिक संख्या बंदरों की है

प्रयागराज, जेएनएन। मां चंडिका देवी धाम के घने जंगल में अमरूद के पौधे रोपे जाएंगे। इस तरह से जंगल में रह रहे हजारों बंदरों की भूख अमरूद के फल से मिटेगी। वन विभाग इसकी तैयारी में जुट गया है। जंगल में जंगली बबूल व अन्य पेड़ों को काट कर वहां अमरूद की खेती होगी। अमरुद के पौध रोपने के लिए नर्सरी भी तैयार की जा रही है। 

जंगली पेड़ों को काटकर की जाएगी सफाई

संडवा चन्द्रिका जंगल करीब पचास एकड़ में है। यहां आम, इमली, कैथा, सागोन, शीशम के साथ जंगली बबूल हैं। जंगल में सियार, स्याही, मोर,अजगर के साथ जंगली जानवर व बंदर रहते हैं। सबसे अधिक संख्या बंदरों की है, जो जंगल से लेकर सड़क तक विचरण करते हैं। बंदर चंडिका धाम में आने वाले श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए जाने वाले प्रसाद व दुकानदारों द्वारा मिले खाद्य पदार्थों से पेट भरते हैं। छह महीने पूर्व कोरोना के चलते लॉकडाउन में मंदिर व बाजार बंद होने से बंदरों के समक्ष निवाले का संकट उत्पन्न हो गया था। बंदर भूख व प्यास से तड़प रहे थे। उस दौरान अंतू एसओ रहे मनोज तिवारी प्रतिदिन जंगल में जाकर उन्हें फल व पूडी-लड्डू खिलाते थे। इसके बाद अन्य समाजसेवी भी बंदरों का निवाला लेकर जंगल में जाना शुरु किए। अब वन विभाग ने जंगल की शान बंदरों के लिए स्थायी तौर पर भोजन की व्यवस्था करने की योजना बनाई। विभाग ने जंगल में खाली पडी जमीन पर अमरूद के साथ संतरा व अन्य मौसमी फलों की खेती करने की योजना बनाई है। 

फिर बंदर नहीं करेंगे खाने के लिए छीनाझपटी

रेंजर अशोक कुमार यादव की पहल पर जंगल में खाली पडी जमीन के साथ जंगली बबूल को कटवा कर सफाई कराई गई। इस जमीन पर विभाग अमरुद का फल रोपित करने की तैयारी में है। इसके लिए अच्छी प्रजाति के अमरुद व अन्य फलों की नर्सरी तैयार की गई है। अप्रैल व मई माह में रोपित किया जाएगा। साल भर में ही अमरुद फल देना शुरु करेगा। इसके बाद मंदिर दर्शन करने आने वाले भक्तों से छीनाझपटी करने वाले बंदरों की भूख ये अमरूद मिटाएंगे। रेंजर अशोक यादव ने बताया है कि जंगल में खाली पड़ी जमीन पर अमरूद के पौध रोपे जाएंगे। इसके लिए नर्सरी तैयार करने के साथ गड्ढों की खुदाई का कार्य किया जा रहा है। नर्सरी में तैयार अमरूद के पौधों को लोगों की जरुरत के लिए बिक्री भी की जाएगी।

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