भगवती स्तुति से करें आत्मशुद्धि

जासं, इलाहाबाद : नवरात्र के पावन पर्व पर मां भगवती की स्तुति से साधक की हर इच्छाओं की पूर्ति हो

By JagranEdited By: Publish:Sat, 17 Mar 2018 11:05 AM (IST) Updated:Sat, 17 Mar 2018 11:05 AM (IST)
भगवती स्तुति से करें आत्मशुद्धि
भगवती स्तुति से करें आत्मशुद्धि

जासं, इलाहाबाद : नवरात्र के पावन पर्व पर मां भगवती की स्तुति से साधक की हर इच्छाओं की पूर्ति होती है। मा मानव के अंदर व्याप्त काम, क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार जैसे शत्रुओं का शमन कर उन्हें वैभव, यश, कीर्ति प्रदान करती हैं। यह तभी प्राप्त होता है जब मां की स्तुति यम-नियम से की जाए। ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं व्रती साधकों को क्रोध व लोभ नहीं करना चाहिए। वह कन्या, माता, पिता और ब्राह्मणों का सम्मान करते हुए दीन-दुखियों की सेवा करें। मां को अर्पित होने सामग्री का चयन सावधानीपूर्वक करना चाहिए। कामना के अनुरूप अर्पित सामग्री भक्तों की मनोकामना पूरी करने में सहायक होती है।

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पूजन सामग्री का महत्व

-रोली से रक्त विकार दूर होता है। -अक्षत से धन की वृद्धि।

-लाल फल से प्रसन्नता व प्रतिष्ठा की प्राप्ति।

-अखंड ज्योति जलाने से ज्ञान की वृद्धि।

-लौंग व इलायची से रोग से मुक्ति।

-नारियल से सर्वगुण संपन्नता की प्राप्ति।

-कपूर से आयु में वृद्धि।

-पंचामृत से मनोकामना पूर्ति एवं मिष्ठान अर्पण से आरोग्यता आती है।

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ग्रहों की पीड़ा का करें शमन

विश्व पुरोहित परिषद के अध्यक्ष ज्योतिर्विद डॉ. विपिन पांडेय बताते हैं कि नवरात्र में भगवती दुर्गा के पूजन से ग्रहों की पीड़ा का शमन भी होता है। मा के पूजन से नौ नवग्रहों का पूजन भी करना चाहिए। साधक भगवती की उपासना के साथ नवग्रहों की पूजा कर उनके दोष से मुक्ति पा सकते हैं। पूजन के लिए वेदी बनाकर उस पर श्वेत रंग का वस्त्र बिछाकर उस पर चावल से ही ग्रहों का प्रतीक बनाएं। इसके बाद पान, सुपाड़ी, लौंग, इलायची, सिंदूर अर्पित कर ग्रहों के बीज मंत्रों का 108 बार जाप करें। ऐसा करने से कष्ट से मुक्ति मिलेगी।

इन मंत्रों का करें जाप

-मंगल के लिए ऊं हूं श्रीं भौमाय नम:।

-राहु के लिए ऊं ऐं ह्नीं राहुवे नम:।

-गुरु के लिए ऊं ह्नीं क्लीं हूं वृहस्पतये नम:।

-शनि के लिए ऊं ऐं ह्नीं श्रीं शनैश्चराय नम:।

-बुध के लिए ऊं ऐं ह्नीं श्रीं बुधाय नम:।

-केतु के लिए ऊं ह्नीं ऐं केतवे नम:।

-शुक्र के लिए ऊं ह्नीं श्रीं शुक्राय नम:।

-सूर्य के लिए ऊं ह्नीं ह्नौं सूर्याय नम:।

-चंद्रमा : ऊं ऐं क्लीं सोमाय नम:।

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