पांच लाख बीघा ऊसर व बंजर भूमि को कृषि योग्य बनाने की कवायद Prayagraj News

सतत विकास लक्ष्य के अंतर्गत गरीबी को खत्म करना पर्यावरण की रक्षा आर्थिक असमानता को कम करने के लिए कई कार्यों को मनरेगा से कराने का फैसला हुआ है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 11 Oct 2019 07:58 AM (IST) Updated:Fri, 11 Oct 2019 05:52 PM (IST)
पांच लाख बीघा ऊसर व बंजर भूमि को कृषि योग्य बनाने की कवायद Prayagraj News
पांच लाख बीघा ऊसर व बंजर भूमि को कृषि योग्य बनाने की कवायद Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। जिले में लगभग पांच लाख बीघा ऊसर और बंजर जमीन को कृषि योग्य बनाया जाएगा। इसके अलावा लगभग एक लाख बीघा जलभराव वाले क्षेत्र तथा डेढ़ लाख बीघा परती जमीन को भी खेती के लायक करने की तैयारी है। इससे जिले के लगभग 90 हजार किसानों को लाभ मिल सकेगा। इसके लिए जल्द ही बड़ा प्रोजेक्ट शुरू होने जा रहा है।

मनरेगा के बजट से होगा कार्य

यह काम मनरेगा के बजट कराया जाएगा। सतत विकास लक्ष्य के अंतर्गत गरीबी को खत्म करना, पर्यावरण की रक्षा, आर्थिक असमानता को कम करने के लिए कई कार्यों को मनरेगा से कराने का फैसला हुआ है। गरीबी को खत्म करने के लिए गांवों में सबसे पहले किसानों और किसान मजदूरों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए कदम उठाया जा रहा है। लघु एवं सीमांत किसानों की उपजाऊ भूमि में सुधार करना पहली प्राथमिकता होगी, जिससे कम लागत में किसानों को ज्यादा मुनाफा मिले। इसके साथ ही ऊसर और बंजर भूमि को कृषि, बागवानी एवं वानिकी के लिए तैयार किया जाएगा। जनपद में लगभग पांच लाख ऊसर और बंजर भूमि है जिसका उपचार कर कृषि योग्य बनाया जाएगा। इसी तरह जलभराव वाले क्षेत्रों का उपचार कर वहां फसलोत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि करना भी लक्ष्य है।

डीडीओ बोले-सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की कवायद कर रही

जिला विकास अधिकारी (डीडीओ) अशोक कुमार मौर्य ने बताया कि केंद्र सरकार की मंशा है कि साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी की जाए। कृषकों की आय बढ़ाने के लिए यह आवश्यक है कि लागत में कमी लाई जाए और उत्पादन में वृद्धि की जाए। मनरेगा के तहत किसानों को एएसी परिसंपत्तियों का लाभ दिया जाएगा, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो सके। योजना के तहत व्यक्तिगत भूमि पर भूमि विकास के कार्य कराए जाएंगे। यह कार्य इसी माह से शुरू करा दिया जाएगा।

हर गांव से चुने जाएंगे तीन लाभार्थी

बंजर और ऊसर जमीन के विकास के अलावा व्यक्तिगत लाभ के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायतों का लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है। प्रत्येक गांव से नेडप और वर्मी कंपोस्ट के लिए तीन लाभार्थियों का चयन होगा, जिससे उन्हें लाभ मिल सके। इसी तरह सोकपिट के लिए तीन और पशु आश्रय (बकरी, गाय व मुर्गी पालन) के तीन लाभार्थी हर गांव से चयनित होंगे, जिन्हें कर्ज भी दिया जाएगा। इसी तरह प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के कार्य के लिए भी हर गांव से दो लाभार्थी चुने जाएंगे।

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