माउस पकड़ नहीं पाते लेकिन विवेचना साइबर क्राइम की कर रहे Prayagraj News
आइटी एक्ट के मामले की जांच इंस्पेक्टर रैंक के ही अधिकारी करते हैं। तकनीकी जानकारी न होने से साइबर क्राइम के केस की विवेचना में देरी होती है।
प्रयागराज, [रजनीश मिश्र]। जिले में तैनात तमाम इंस्पेक्टर ऐसे हैं, जो कंप्यूटर का ककहरा तक नहीं जानते हैं। ऐसे में उनके साइबर क्राइम से जुड़े मामले की जांच करना किसी मुसीबत से कम नहीं है। इंस्पेक्टर साहब, बेचारे माउस तक पकड़ नहीं पाते हैं। कंप्यूटर, इंटरनेट, फेसबुक, वाट्सएप, टिवटर से अनजान होते हैं। सोशल मीडिया की प्रारंभिक जानकारी तक नहीं होती है लेकिन जब जांच मिल जाती है तो विवेचना करना मजबूरी बन जाती है। ऐसे में बेचारे इंस्पेक्टर साहब साइबर क्राइम सेल में तैनात सिपाहियों या अपने करीबी सिपाही से संपर्क करते है, जो कंप्यूटर की तकनीकी जानकारी में माहिर होते हैं।
साइबर क्राइम के अपराधियों को पकड़ने में होता है विलंब
अक्सर इंस्पेक्टर साहब को जांच के दौरान किसी तकनीकी पहलू के समझ न आने पर सिपाहियों से जानकारी करते देखा जा सकता है। ऐसे में विवेचना में देरी होना लाजिमी है। यही वजह है कि साइबर क्राइम करने वाले अपराधियों को पकडऩे में काफी देर होती है या पकड़ में ही नहीं आते हैं।
आइटी एक्ट की विवेचना सिर्फ इंस्पेक्टर ही करते हैं
साइबर क्राइम से जुड़े मामले आइटी एक्ट के तहत आते हैं। इसकी विवेचना सिर्फ इंस्पेक्टर रैंक के अफसर ही करते हैं। ऐसा नियम है। साइबर क्राइम के मामले आइटी एक्ट के तहत ही आते हैं।
साइबर क्राइम के हर दिन आते पांच से अधिक मामले
साइबर क्राइम मामले लगातार बढ़ रहे हैं। जिले में हर दिन साइबर क्राइम से जुड़े पांच से अधिक मामले आते हैं। ऐसे में साइबर क्राइम के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। हालांकि विवेचना में देरी के चलते मुकदमों का बोझ बढ़ता जा रहा है।
बोले एसपी क्राइम
एसपी क्राइम आशुतोष मिश्र कहते हैं कि कोशिश रहती है कि ऐसे मुकदमों की विवेचना कंप्यूटर और इंटरनेट के जानकार इंस्पेक्टर को मिले। हां ये सच है कि उन्हें तकनीकी जानकारी नहीं है लेकिन विवेचना में तकनीकी पहलू पर साइबर सेल के पुलिसकर्मी मदद करते हैं।
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