द्ददा की परंपरा को बढ़ा रहे दानिश

हॉकी के जादूगर के रूप में प्रख्यात मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 में हुआ था। उनका इलाहाबाद से गहरा नाता रहा है। दद्दा जी के रूप में प्रसिद्ध ध्यानचंद की परंपरा को यहां दानिश आगे बढ़ा रहे हैं। दानिश दो बार आ्रलंपिक खेल चुके हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 29 Aug 2018 12:40 PM (IST) Updated:Wed, 29 Aug 2018 12:40 PM (IST)
द्ददा की परंपरा को बढ़ा रहे दानिश
द्ददा की परंपरा को बढ़ा रहे दानिश

जासं, इलाहाबाद : हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का इलाहाबाद से गहरा नाता रहा है। क्योंकि उनका जन्म इलाहाबाद में 29 अगस्त 1905 को हुआ था। उनके पिता इलाहाबाद में सेना में थे। जब ध्यानचंद ढाई साल के हुए तो उनके पिता इलाहाबाद से चले गए। द्ददा की परंपरा को आज दानिश मुजतबा बढ़ा रहे हैं। मेजर ध्यानचंद ने तीन ओलंपिक खेले और दानिश दो ओलंपिक खेल चुके हैं।

बचपन में ध्यानचंद में खिलाड़ी के कोई विशेष लक्षण दिखाई नहीं देते थे। इसलिए कहा जा सकता है कि हॉकी के खेल की प्रतिभा जन्मजात नहीं थी, बल्कि उन्होंने सतत साधना, अभ्यास, लगन, संघर्ष और संकल्प के सहारे यह प्रतिष्ठा अर्जित की थी। 16 वर्ष की अवस्था में 1922 ई. में दिल्ली में प्रथम ब्राह्मण रेजीमेंट में सेना में एक साधारण सिपाही की हैसियत से भरती हो गए। ध्यानचंद को हॉकी खेलने के लिए प्रेरित करने का श्रेय रेजीमेंट के एक सूबेदार मेजर तिवारी को है। उनकी देख-रेख में ध्यानचंद दुनिया के एक महान खिलाड़ी बने। उन्होंने 1928, 1932 और 1936 में ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करके हुए स्वर्ण पदक दिलाया था। उनके बाद इलाहाबाद से सुजीत कुमार ओलंपिक खेलने वाले दूसरे हॉकी खिलाड़ी हुए। सुजीत कुमार के बाद कटघर निवासी दानिश मुजतबा 2012 में लंदन और 2016 में रियो ओलंपिक में भारतीय टीम का हिस्सा रहे। दानिश मुजतबा बताते हैं कि उन्हें ध्यानचंद का खेल बहुत पसंद आता है। उनकी स्टिक का कोई तोड़ नहीं था। 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के पर मदन मोहन मालवीय स्टेडियम समेत तमाम स्कूलों में ध्यानचंद का याद किया जाएगा। विभिन्न स्पर्धाओं का आयोजन होगा।

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