आश्रय स्थलों में गोवंशों का निराश्रितों जैसा हाल, इलाज के अभाव में तड़प रहे Prayagraj News

तहसील के अफसरों को निर्देश दिए जाने पर भी गोवंश आश्रय स्थलों की स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है। बहादुरपुर ब्लाक के कांदी यरना लाहुरपुर और दलापुर आदि की दशा खराब है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 16 Oct 2019 02:51 PM (IST) Updated:Wed, 16 Oct 2019 02:51 PM (IST)
आश्रय स्थलों में गोवंशों का निराश्रितों जैसा हाल, इलाज के अभाव में तड़प रहे Prayagraj News
आश्रय स्थलों में गोवंशों का निराश्रितों जैसा हाल, इलाज के अभाव में तड़प रहे Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। महराजगंज से प्रयागराज के गोवंश आश्रय स्थलों के हालात कमतर नहीं हैैं। यहां भी भारी पैमाने पर अनियमितता और लापरवाही सामने आ चुकी है। कांदी गांव में तो 35 गायों की मौत के मामले को ही अफसर दबा दिए थे। पूरी घटना को अधिकारियों ने दैवीय आपदा से जोड़ दिया था, जबकि यह साफ दिख रहा था कि जिस स्थल पर आश्रय स्थल बनाया गया था, वहां बड़ा गड्ढा था। बारिश शुरू होने के बाद भी गायों को नहीं हटाया गया। नतीजतन, 35 गायों की तड़पकर मौत हो गई थी। हालांकि बाद में अन्य गायों को शिफ्ट किया गया था। हालांकि पहले यही कार्य हो गया होता तो शायद बेजुबानों की जान बच जाती। जिले के कई अन्य गोवंश आश्रय स्थलों में भी बेजुबानों के साथ कमोवेश यही बर्ताव हो रहा है।

गोवंश आश्रय स्थलों की स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है

महराजगंज में अफसरों पर कड़ी कार्रवाई को लेकर प्रयागराज में भी  हड़कंप की स्थिति है। जिला स्तर से लेकर तहसील और ब्लाक स्तर के अधिकारी फाइल दुरुस्त करने में जुटे हैं। यही नहीं जिले के अधिकारी ब्लाक और तहसील के अधिकारियों को फोन कर हिदायत भी दे चुके हैैं। इसके बाद भी गोवंश आश्रय स्थलों की स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है। बहादुरपुर ब्लाक के कांदी, यरना, लाहुरपुर और दलापुर की भी दशा खराब है। लाहुरपुर में 59 मवेशी हैैं जिसमें आधा दर्जन से ज्यादा बीमार हैैं। दो तो मरणासन्न हालत में हैैं। ग्राम पंचायत अधिकारी अरुण कुमार ने बताया कि बीमार गोवंशों का इलाज कराया जा रहा है।

खास बातें

- 9.6 हजार के करीब गोवंश रखे गए हैैं जिले के 101 आश्रय केंद्रों में

- 86 लाख रुपये प्रति माह दिया जाता है इन गोवंशों पर खर्च करने को

- 2.5 करोड़ की लागत से दो पक्के आश्रय स्थलों का हो रहा निर्माण

- 07 नोडल अफसर आश्रय स्थलों की मॉनीटरिंग को बनाए गए हैैं।

ददरी तालुका गांव के गोवंश आश्रय स्थल की दशा दयनीय

विकास खंड क्षेत्र चाका के ददरी तालुका गांव के गोवंश आश्रय स्थल की दशा काफी दयनीय है। गोवंश की सेवा में लगे गो सेवकों की जब से नियुक्ति हुई है कोई मानदेय नहीं दिया गया है, जिससे गोशाला की व्यवस्था चरमरा गई है। प्रति गोवंश को चारे के मद में मिलने वाली रकम भी काफी कम दी जाती है। ग्राम प्रधान संजय कुमार का कहना है कि गो सेवकों के मानदेय के लिए कहा गया मगर कोई सुनवाई नहीं हुई।

कोहड़ार गोवंश आश्रय स्थल में फर्जीवाड़ा पकड़ा गया

महराजगंज की ही तरह मेजा के कोहड़ार गोवंश आश्रय स्थल में फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है। अफसरों के निर्देश पर एसडीएम मेजा रेनू सिंह ने कोहड़ार गोवंश आश्रय स्थल का निरीक्षण किया। इस दौरान 35 ऐसे मवेशी पाए गए जिनकी टैगिंग नहीं हुई थी। उन्होंने पशु चिकित्साधिकारी को फोन कर टैग लगाने को कहा। महराजगंज में इसी तरह की गड़बड़ी पकड़ी गई थी जिस पर कार्रवाई की गई है।

कीचड़ में गोवंश, बीमारी की आशंका

बारा तहसील में नारीबारी क्षेत्र के झंझरा चौबे गांव में आश्रय स्थल न होने पर अंत्येष्टि स्थल पर ही पशुओं को रखा जा रहा है। उनके चारा पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं है। यहां कीचड़ के कारण गोवंशों में बीमारी फैलने की आशंका बनी हुई है। इसी प्रकार नारीबारी, सुरवल चंदेल, सुरवल सहनी आदि गांवों में दर्जनों बेसहारा गोवंश घूम रहे हैैं।

बोले प्रभारी पशु चिकित्साधिकारी

प्रभारी मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. विजय प्रताप सिंह कहते हैं कि आश्रय स्थलों में गोवंशों के इलाज के लिए पशु चिकित्सकों की तैनाती की गई है। निर्देश हैैं कि बीमारी की सूचना पर फौरन पहुंचें। लापरवाही पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

क्या कहते हैं सीडीओ

सीडीओ अरविंद सिंह ने कहा कि यहां जो भी आश्रय स्थल बनाए गए हैैं वहां समुचित व्यवस्था के निर्देश दिए गए हैैं। समय-समय पर अधिकारी निरीक्षण भी करते हैैं। कहीं कोई कमी मिलती है तो उसे फौरन दूर कराया जाता है।

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