Coronavirus Effect in Prayagraj: संक्रमण के बढ़ते मामले को लेकर चिंतित है कलाकार, लोगों को करेंगे जागरूक
Coronavirus Effect in Prayagraj रंगकर्मी असगर अली का कहना था कि रंगकर्म समाज का आईना होता है और अगर समाज इस समय कोरोना से जूझ रहा है तो रंगकर्म में भी इसका प्रभाव दिखना लाजमी है। रंगकर्मियों की जिम्मेदारी है कि वह लोगों को जागरूक कर अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाए।
प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर शहर के कलाकारों ने भी चिंता ज़ाहिर की है। शुक्रवार को सोहबतिया बाग स्थित शरमन एरा फाउंडेशन हॉल में विभिन्न संस्थाओं ने संयुक्त रूप से एक परिचर्चा का आयोजन किया। जिसमें सबने एक ही स्वर में इस महामारी से निपटने और अपना कार्य कैसे जारी रखा जा सकता है उस पर विस्तार से चर्चा की।
बुनियाद फाउंडेशन के सचिव व रंगकर्मी असगर अली का कहना था कि रंगकर्म समाज का आईना होता है और अगर समाज इस समय कोरोना से जूझ रहा है तो रंगकर्म में भी इसका प्रभाव दिखना लाजमी है इसलिए वर्तमान स्थिति में रंगकर्मियों की जिम्मेदारी है कि वह अपने-अपने माध्यम से लोगों को इसके प्रति जागरूक कर अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाए। रंगकर्मी व द कलर्स फाउंडेशन की सचिव रुचि गुप्ता ने कहा कि काफी महीनों के बाद प्रस्तुतियों की अनुमति मिली थी परंतु वर्तमान के हालात देखने से ऐसा डर सता रहा है कि कहीं फिर से बंदिशे न लग जाए। अगर ऐसा होता भी है तो हमें अपना कार्य जारी रखते हुए अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभानी है भले ही वह तकनीकी माध्यम से ही क्यों ना हो। संगीत से जुड़े शरमन एरा फाउंडेशन के सचिव अमरनाथ श्रीवास्तव का कहना था कि कोरोना को देखते हुए ऐसा लगता है कि आने वाले समय में ऑनलाइन ही शिक्षा का एक माध्यम रह जाएगा। इसके साथ ही हमें अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए सोशल मीडिया पर भी इसके प्रति लोगों को जागरूक करने की भी आवश्यकता है।
नृत्य शिक्षिका प्रिया तिवारी ने कहा कि जहां कोरोना के कारण नृत्य की कार्यशाला में प्रतिभागियों की संख्या कम हुई है वही फिर से लॉकडाउन हुआ तो हम कलाकारों के सामने आर्थिक संकट गहरा जाएगा,हमें जरूरत है कि हम कुछ ऐसा रास्ता निकाले कि अन्य माध्यमों के जरिए हम अपना जीविकोपार्जन कर सके। इस दौरान संगीत शिक्षिका कंचन मणिरत्नम ने भी अपने विचार रखते हुए संगीत को मेडिटेशन का भी माध्यम बताते हुए कोरोना के तनाव को दूर करने की बात कही।