Special Story: पढ़े भारत और बढ़े भारत का संकल्प पूरा कर रहे प्रयागराज के प्रतियोगी छात्र

यह पाठशाला करीब छह महीने पहले कुछ प्रतियोगी छात्रों ने शुरू की थी। आरंभिक दिनों में दो तीन बच्चे यहां आते थे। अब यह संख्या लगातार बढ़ रही है। पाठशाला का स्वरूप भी व्यवस्थित हो रहा है। कक्षावार विद्यार्थी बैठ रहे हैं।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 08:01 AM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 05:06 PM (IST)
Special Story: पढ़े भारत और बढ़े भारत का संकल्प पूरा कर रहे प्रयागराज के प्रतियोगी छात्र
हर शाम मिंटो पार्क के पास मलिन बस्ती व वोट क्लब के पास लगती है पाठशाला

अमलेंदु त्रिपाठी, प्रयागराज। यमुना का किनारा। गरीब परिवारों के करीब 25 बच्चे। तन पर आधे कपड़े पर किताब में क्या है उसे जानने की चाहत पूरी। उनकी इस उत्कंठा को शांत करने के लिए सामने खड़े पांच युवा। इसी में से एक ने पूछा कविता याद हो गई। जवाब मिला जी सर। तभी एक बालक ने उत्साह के साथ कहा हमने तो जोड़ना भी सीख लिया। पास खड़ी श्रद्धा ने उसे अपने पास बुलाकर बैठाया और कुछ सवाल जवाब का सिलसिला शुरू किया। उधर, एक अन्य युवक अमित ने एक बालक को खड़ाकर हिंदी की किताब पढ़ने को कहा। यह दृष्य करीब करीब हर शाम मिंटो पार्क के पास नए यमुना पुल के नीचे देखा जा सकता है।

विषय और कक्षावार अलग अलग बच्चों को बैठाकर की जाती है पढ़ाई

यह पाठशाला करीब छह महीने पहले कुछ प्रतियोगी छात्रों ने शुरू की थी। आरंभिक दिनों में दो तीन बच्चे यहां आते थे। अब यह संख्या लगातार बढ़ रही है। पाठशाला का स्वरूप भी व्यवस्थित हो रहा है। कक्षावार विद्यार्थी बैठ रहे हैं। यहां बच्चों को पढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाने वाले करछना निवासी अमित बताते हैं कि वह प्रतियोगी छात्र हैं। आइइआरटी से इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कर चुके हैं। सेवा बस्तियों में भ्रमण के दौरान उन्हें बहुत से बच्चे मिले जिनका स्कूल से कोई नाता नहीं था। कुछ बच्चों से बात कर उन्होंने इस पाठशाला की शुरुआत की। अपने साथी अभिषेक राज, प्रदीप, मनीष, अनिल, श्रद्धा, नंदिनी, साक्षी, श्वेता, नीता को भी इस मुहिम का हिस्सा बनाया। शुरू में उन्हें सामान्य व्यवहार की चीजें सिखाई गईं। फिर बच्चों के अभिभावकों से भी बात की और उन्हें नियमित रूप से शाम की पाठशाला में भेजने के लिए भी राजी किया। अब कक्षावार बच्चों को बैठाकर पढ़ा रहे हैं। इसके पीछे लक्ष्य है कि पढ़े भारत, बढ़े भारत सिर्फ स्लोगन न रहे वास्तव में सभी बच्चे पढ़ें और बढ़ें। इस दौरान सृजनात्मक, रोचक गतिविधियां भी बच्चों के जरिए कराई जाती हैं जिससे वह पढ़ाई को नीरस न समझें।

स्कूल छोड़ चुके बच्चों का दोबारा दाखिला कराया

अमित बताते हैं कि उनकी कोशिश है कि जो बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं उन्हें दोबारा दाखिला दिलाया जाए। अब तक कुल 166 बच्चों का अलग अलग स्कूलों में प्रवेश कराया जा चुका है। 72 बच्चे आर्य कन्या इंटर कालेज, 85 बच्चों का प्रवेश डा. कैलाशनाथ काट्ज़ू इंटर कालेज में, 7 बच्चों का प्रवेश शुभम इंटर कालेज में कराया गया है। इस कार्य में स्माइल फॉर ऑल सोसायटी की भी मदद उन्होंने ली है। संस्था की ओर से बच्चों की फीस व अन्य स्टेशनरी की व्यवस्था समय समय पर की जाती है।

सप्ताह में तीन दिन चलती है पांचवीं तक की कक्षा

अमित ने बताया कि शहर में मिंटो पार्क के पास मलिन बस्ती व वोट क्लब के पास कक्षाएं चलाई जाती हैं। उनके साथियों की एक टीम फूलपुर के अरवासी गांव में भी ऐसी कक्षाओं का संचालन कर रही है। सोमवार से बुधवार तक कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को पढ़ाया जाता है। शुक्रवार, शनिवार और रविवार को कक्षा छह से 10 तक के बच्चों को पढ़ाते हैं।

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