तालाबों को जीवंत करने की मुहिम में जुटी युवाओं की टोली, युवा अधिवक्ता ने सहयोगियों के साथ चलाया जनजागरण अभियान
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों के साथ इन्होंने सूख रहे तालाबों को बचाने के लिए प्रधानों से संपर्क कर जन जागरण अभियान चलाया। झीलों और तालाबों के शहर प्रयाग में अतिक्रमण का शिकार होते तालाबों का जिक्र युवा अधिवक्ता ने अपने शोध पत्रों एवं लेखों में करते रहे हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। प्राकृतिक जल स्त्रोतों के सहारे देश की संस्कृति का ताना-बाना बुना जाता रहा है। नदी, झील, तालाबों के किनारे प्राकृतिक सुनहरे वातावरण में ऋषियों, मुनियों एवं सन्यासियों के आश्रम पाए जाते रहे हैं। यहां तक कि बंजारे जाति के लोग भी अपने पूरे परिवार के साथ किसी नदी के तट अथवा तालाब के समीप अपना डेरा बनाते हैं। ताकि उन्हें और उनके मवेशियों के लिए पर्याप्त जल व चारे की व्यवस्था हो सके। लेकिन, इन जल स्त्रोतों की तरफ जनमानस की उदासीनता देख तालाबों और नदियों की संस्कृति को जीवंत करने की मुहिम उच्च न्यायालय के युवा अधिवक्ता शरदेंदु सौरभ ने शुरू की।
कीडगंज में मेवालाल और हनुमानगंज में पक्के तालाब के अस्तित्व को बचाने की पहल
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों के साथ इन्होंने ग्रामीण अंचलों में सूख रहे तालाबों को बचाने के लिए प्रधानों से संपर्क कर जन जागरण अभियान चलाया। झीलों और तालाबों का शहर कहे जाने वाले प्रयाग में अतिक्रमण का शिकार होते तालाबों का जिक्र युवा अधिवक्ता ने अपने शोध पत्रों एवं लेखों में करते रहे हैं। वह शहर के कीडगंज के मेवालाल तालाब के अस्तित्व के लिए 2013 से प्रयासरत हैं। इविवि अपने साथियों के साथ इस तालाब पर सफाई अभियान भी चलाते रहे हैं। हाल में इस तालाब के पानी के बायो डिजाल्व आक्सीजन (बीओडी) के परीक्षण में पाया गया कि इसमें आक्सीजन की मात्रा बिल्कुल घट चुकी है। इसकी वजह तालाब पर होते अतिक्रमण एवं लोगों की बेपरवाही सामने आई है। इस चिंताजनक स्थिति को इन्होंने क्षेत्र के पूर्व पार्षद गणेश केशरवानी के समक्ष रखा और इसके लिए सक्रिय पहल की मांग की। हनुमानगंज के ऐतिहासिक पक्के तालाब के अस्तित्व के लिए युवा अधिवक्ता भी प्रयासरत हैं। इसके लिए वह ग्रामवासियों के सहयोग से सफाई अभियान चलाते रहे हैं। अब वह मध्यस्थता के जरिए इस तालाब में गिरने वाले नालो को रोकने के लिए भी प्रयास कर रहे हैं। दावा है कि दो गांवों के नालों को रोकने में उन्हें सफलता भी मिली है। इविवि के विज्ञान संकाय के विभव मिश्र, नरेंद्र शुक्ला, सलिल दुबे, मृत्युंजय वर्मा, शांतनु, लव वर्मा, शाहबाज, अभिषेक त्रिपाठी, हीरावती आदि उनके सहयोगी हैं।