जांच रिपोर्ट को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देंगे इविवि छात्रनेता

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कुलपति के टेप प्रकरण में सेवानिवृत्ति न्यायाधीश अरुण टंडन की रिपोर्ट अा चुकी है। इसके विरोध में समाजवादी सेकुलर मोर्चा के युवजन सभा से जुड़े छात्रनेता सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करेंगे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 13 Oct 2018 12:30 PM (IST) Updated:Sat, 13 Oct 2018 03:01 PM (IST)
जांच रिपोर्ट को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देंगे इविवि छात्रनेता
जांच रिपोर्ट को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देंगे इविवि छात्रनेता

इलाहाबाद : इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कुलपति के टेप प्रकरण में इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्ति न्यायाधीश अरुण टंडन की रिपोर्ट को छात्रनेता सर्वोच्च न्यायालय में चैलेंज करेंगे। परिसर में समाजवादी सेकुलर मोर्चा के युवजन सभा की आयोजित बैठक में यह फैसला लिया गया।

 मोर्चा के प्रदेश महामंत्री व पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष दिनेश यादव ने कहा कि कार्यवाहक कुलपति द्वारा गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट में क्लीन चिट दी गई है। न तो यह जांच विभागीय है, न न्यायिक। धीरेंद्र कुमार ने कहा कि इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में जल्द ही एसएलपी दायर की जाएगी। उधर, वीसी की चैटिंग को वायरल करने के बाद चर्चा में आए पूर्व छात्रनेता अविनाश दुबे ने प्रदेश के लोकायुक्त को पत्र लिखकर विवि में 14 वर्षों से एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक पद संभाल रहे शिक्षक के आय से अधिक संपत्ति के जांच की मांग की है। अविनाश ने पत्र में कहा है कि उक्त प्रोफेसर के पास करोड़ों के कई फ्लैट अलग अलग शहरों में हैं। इन्होंने अपने कार्यालय में अपने ही परिवार के कई सदस्यों को नौकरी दे रखी है।

मोमबत्ती जलाकर विरोध :

कुलपति के खिलाफ आंदोलन कर रहे छात्रों ने शुक्रवार की देर शाम कुलपति कार्यालय के नीचे मोमबत्ती जलाकर विरोध किया। छात्रसंघ उपाध्यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में छात्रनेताओं ने प्रदर्शन किया। इसमें  बाबुल सिंह, निखिल श्रीवास्तव, आनंद सिंह निक्कु, अरविंद सरोज, जितेन्द्र धनराज, अनुभव सिंह छोटू आदि शामिल रहे।

ऋचा ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र :

इलाहाबाद विवि की पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचा सिंह ने प्रधानमंत्री को फैक्स भेजकर अपनी मानसिक स्थिति को अवगत कराया गया। पत्र में कहा गया है कि विश्वविद्यालय द्वारा नोटिस और पुलिस में निराधार एफआइआर कर मेरे भविष्य को बर्बाद करने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में मुझे कुछ भी होता है तो उसकी जिम्मेदारी विवि प्रशासन की होगी। उन्होंने पीएम को लिखे पत्र में कहा है कि यह स्थिति बहुत खतरनाक हो जाती है जब पद का दुरुपयोग कर फैसले तक बदलवा लेते हैं। इनका पक्ष लेने वाले लोग संवैधानिक पदों पर सार्वजनिक संस्थाओं, विवि और कॉलेजों में उच्च पदों पर बैठ जाते हैं। स्वयं को बचाने के लिए अपनी शक्ति का गलत प्रयोग करते हैं।

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